परिचय:
हिन्दी भाषा में शब्दों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जाता है। इन वर्गीकरणों में से एक महत्वपूर्ण आधार “रचना” है। जब हम शब्दों को उनकी संरचना (बनावट) के अनुसार विभाजित करते हैं, तो उसे “रचना के आधार पर शब्द भेद” कहते हैं।
रचना के आधार पर शब्दों को चार भागों में विभाजित किया जाता है:
- रूढ़ि शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
- देशज, विदेशी और संकर शब्द
1. रूढ़ि शब्द
परिभाषा:
जो शब्द अपने आप में स्वतंत्र होते हैं और जिनका निर्माण किसी अन्य शब्दों के योग से नहीं होता, उन्हें रूढ़ि शब्द कहते हैं। ऐसे शब्दों को और छोटे भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता।
विशेषताएँ:
- ये मौलिक और मूलभूत शब्द होते हैं।
- इनके कोई टुकड़े नहीं किए जा सकते।
- इनका सीधा और स्पष्ट अर्थ होता है।
उदाहरण:
पिता, नदी, फूल, बच्चा, घर, आँख, मिट्टी, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, राजा, रोटी, जल आदि।
2. यौगिक शब्द
परिभाषा:
वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने होते हैं और जिनका स्वतंत्र अर्थ होता है, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।
विशेषताएँ:
- ये दो या अधिक शब्दों के संयोग से बनते हैं।
- इनका एक नया अर्थ निकलता है, जो जुड़े हुए शब्दों के मूल अर्थ से थोड़ा भिन्न भी हो सकता है।
- इन्हें फिर से अलग-अलग शब्दों में विभाजित किया जा सकता है।
यौगिक शब्दों के प्रकार:
यौगिक शब्दों को चार भागों में विभाजित किया जाता है—
(क) संधि समास द्वारा बने शब्द:
- संधि द्वारा बने शब्द: रामेश्वर (राम + ईश्वर), देवालय (देव + आलय)
- समास द्वारा बने शब्द: राजपुत्र (राजा + पुत्र), जलयान (जल + यान)
(ख) उपसर्ग और मूल शब्द से बने शब्द:
- उदाहरण: अशुद्ध (अ + शुद्ध), अविश्वास (अ + विश्वास), परीक्षा (परि + ईक्षा)
(ग) मूल शब्द और प्रत्यय से बने शब्द:
- उदाहरण: विद्यार्थी (विद्या + अर्थी), बालक (बाल + क)
(घ) दो स्वतंत्र शब्दों के मेल से बने शब्द:
- उदाहरण: रेलगाड़ी (रेल + गाड़ी), चंद्रमुखी (चंद्र + मुखी), देवदूत (देव + दूत)
3. योगरूढ़ शब्द
परिभाषा:
वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं, लेकिन उनका अर्थ उनके मूल शब्दों से बिल्कुल अलग होता है, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं।
विशेषताएँ:
- ये भी यौगिक शब्दों की तरह दो शब्दों के मेल से बनते हैं।
- इनका अर्थ सीधे-सीधे जुड़े हुए शब्दों से नहीं निकाला जा सकता।
- ये व्यावहारिक भाषा में विशेष रूप से प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:
- राजभवन (राजा + भवन) → राजा का घर नहीं, बल्कि सरकार का मुख्य कार्यालय।
- गृहस्थी (गृह + अस्ति) → घर में रहने वाले लोग और उनकी जिम्मेदारियाँ।
- दुर्जन (दु: + जन) → बुरा व्यक्ति।
- चौकीदार (चौकी + दार) → सुरक्षा कर्मी।
4. देशज, विदेशी और संकर शब्द
(क) देशज शब्द
परिभाषा:
जो शब्द किसी विशेष क्षेत्र में ही अधिक प्रयोग किए जाते हैं और जो संस्कृत या अन्य भाषाओं से नहीं लिए गए होते, वे देशज शब्द कहलाते हैं।
विशेषताएँ:
- ये शब्द लोकभाषा से उत्पन्न होते हैं।
- इनका प्रयोग बोलचाल में अधिक होता है।
- ये किसी निश्चित क्षेत्र तक सीमित हो सकते हैं।
उदाहरण:
टकला, छप्पर, ठोकर, झगड़ालू, कक्का, दादा, भैया, झोला, पटाखा, लोटा, खटारा आदि।
(ख) विदेशी शब्द
परिभाषा:
वे शब्द जो हिन्दी में विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। ये शब्द हिन्दी भाषा में पूरी तरह समाहित हो चुके हैं और इनका प्रयोग सामान्य रूप से किया जाता है।
विशेषताएँ:
- ये शब्द मुख्य रूप से अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं से आए हैं।
- इनका उपयोग हिन्दी में बिना किसी बदलाव के या थोड़ा बदलाव करके किया जाता है।
उदाहरण:
- अरबी-फारसी: अदालत, इंसाफ, किताब, तकदीर, बाजार, मशहूर, सरकार।
- अंग्रेज़ी: स्कूल, डॉक्टर, पुलिस, टिकट, बैंक, ट्रेन, बस, गिलास, मोबाइल।
- तुर्की: कुर्सी, कमीज, टोपी, बक्सा।
- पुर्तगाली: आलपिन (Alfin), अंजीर (Anjir), चाबी (Chave)।
(ग) संकर शब्द
परिभाषा:
जो शब्द हिन्दी और किसी अन्य भाषा के मेल से बने होते हैं, उन्हें संकर शब्द कहते हैं।
विशेषताएँ:
- ये दो भाषाओं के मेल से उत्पन्न होते हैं।
- इन्हें “हाइब्रिड शब्द” भी कहा जाता है।
- ये आधुनिक हिन्दी में बहुत अधिक प्रयोग किए जाते हैं।
उदाहरण:
- हिन्दी + अंग्रेज़ी: साइकिलरिक्शा, रेलगाड़ी, पेट्रोलपंप, वाटरप्रूफ, हैंडपंप।
- हिन्दी + अरबी-फारसी: मोटरसाइकिल, अदालतखाना, फिल्मीगाना।
निष्कर्ष
रचना के आधार पर शब्दों को चार मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है— रूढ़ि शब्द, यौगिक शब्द, योगरूढ़ शब्द तथा देशज, विदेशी और संकर शब्द। ये विभाजन शब्दों की उत्पत्ति और उनकी संरचना को बेहतर ढंग से समझने में सहायक होते हैं। हिन्दी भाषा में इन शब्दों का महत्वपूर्ण स्थान है और ये भाषा को समृद्ध एवं व्यापक बनाते हैं।


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