छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान

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परिचय एवं नामकरण

  • छत्तीसगढ़ी , राज्य की राजभाषा है, पूरे राज्य में छत्तीसगढ़ी का सर्वाधिक प्रयोग होता हैं.
  • छत्तीसगढ़ी राज्य में रहने वाले दो करोड़ से भी ज्यादा लोगों की संपर्क भाषा है।
  • प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ को महाकोसल , दक्षिण कोसल और कोसल तथा छत्तीसगढ़ी भाषा को कोसली कहा जाता था.
  • मध्यकाल एवं आधुनिक काल में जब इस अंचल के लिए छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग हुआ तो इस क्षेत्र की भाषा को छत्तीसगढ़ी कहा जाने लगा।
  • राजा कल्याण साय तक यहाँ की प्रचलित भाषा का नाम छत्तीसगढ़ी नहीं था। ऐसा अनुमान किया जाता है कि कल्याण साय के पूर्वजों ने अपने पैतृक राज्य ड़ाहल से यह भाषा छत्तीसगढ़ में लाई और काफी लंबे समय के बाद इस क्षेत्र के वातावरण और विशेषताओं से युक्त होकर छत्तीसगढ़ी भाषा का वर्तमान रूप विकसित हुआ ।
  • सर जार्ज ग्रियर्सन का विचार है कि यह भाषा अवध और संयुक्त प्रांत से जबलपुर और मांडला होते हुए यहाँ आई।
  • छत्तीसगढ़ी भाषा में सबसे प्राचीन और एकमात्र अभिलेख बस्तर राज्य के दंतेवाड़ा में एक शिला पर उकेरा गया है ।
  • छत्तीसगढ़ी आर्य भाषा परिवार की पूर्वी हिन्दी समूह की बोली मनी जाती है। पूर्वी हिन्दी समूह के अंतर्गत अवधी , हिन्दी , बघेली और छत्तीसगढ़ी को शामिल किया जाता है । इसकी समृद्धि इसे भाषा स्तर देती है.
  • क्षेत्रीय निकटता के आधार पर यह बघेली , उड़िया ,तेलुगू , मराठी से प्रभावित है और इसी आधार पर इसके अनेक रूप प्रचलित है. अवधी , बघेली और छत्तीसगढ़ी में काफी साम्यता है .
  • छत्तीसगढ़ी की कोई पृथक लिपि नहीं है , इसके लिए देवनागरी का ही प्रयोग किया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ी बोली का प्रारम्भिक व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय ने लिखा उन्हे छत्तीसगढ़ का पाणिनी भी कहा जाता है . गृयर्सन ने इस व्यवस्थित व्याकरण का ससम्मान उल्लेख करते हुए इसे ‘ एशियाटिक सोसायटी आफ बंगाल ‘ की शोध पत्रिका में प्रकाशित कराया.
  • छत्तीसगढ़ी की संपन्नता के आधार पर राज्य सरकार ने इसे 28 नवम्बर 2007 को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया.
  • राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष 28 नवम्बर को राजभाषा दिवस मनाया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ी के समग्र विकास एवं विस्तार के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया गया है.

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