भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
भारत निर्वाचन आयोग क्या है?
- भारत निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्यों की चुनावी प्रक्रियाओं का संचालन करता है।
- यह निकाय निम्नलिखित के चुनाव कराता है :
- लोकसभा
- राज्यसभा
- राज्यों की विधानसभाएँ
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद
पृष्ठभूमि
- भारतीय संविधान का भाग XV चुनावों से संबंधित है और इसके लिए आयोग की स्थापना करता है।
- संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई।
- संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक आयोग की शक्तियों, कार्यों, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं।
चुनावों से संबंधित अनुच्छेद
- अनुच्छेद 324 : चुनावों का पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
- अनुच्छेद 325 : धर्म, नस्ल, जाति या लिंग के आधार पर किसी को भी विशेष निर्वाचन सूची में शामिल होने से वंचित नहीं किया जाएगा।
- अनुच्छेद 326 : लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे।
- अनुच्छेद 327 : संसद को विधानमंडलों के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 328 : राज्य विधानमंडल को अपने चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति।
- अनुच्छेद 329 : न्यायालयों द्वारा चुनावी मामलों में हस्तक्षेप पर प्रतिबंध।
आयोग की संरचना
- प्रारंभ में आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त होता था।
- निर्वाचन आयुक्त संशोधन अधिनियम, 1989 के बाद यह एक बहु-सदस्यीय निकाय बन गया।
- संरचना:
- एक मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC)
- दो चुनाव आयुक्त
- आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।
- राज्य स्तर पर: आयोग की सहायता मुख्य निर्वाचन अधिकारी (IAS अधिकारी) करते हैं।
- नियुक्ति : मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
- कार्यकाल : अधिकतम छः वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो)।
- स्थिति : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान वेतन और सुविधाएँ।
- हटाना :
- मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों जैसी प्रक्रिया से हटाया जा सकता है।
हटाने की प्रक्रिया
- उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को संसद में पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है, प्रमाणित दुराचरण या अक्षमता के आधार पर।
- आवश्यक विशेष बहुमत:
- उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत
- साथ ही सदन की कुल सदस्य संख्या का 50% से अधिक समर्थन
- संविधान में न्यायाधीशों, CAG और CEC के लिए “महाभियोग” शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
- महाभियोग शब्द केवल राष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रयुक्त होता है (दोनों सदनों की कुल संख्या के 2/3 बहुमत की आवश्यकता)।
कार्य
- संसद, राज्य विधानमंडलों, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों की पूरी प्रक्रिया का पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण।
- मुख्य कार्य:
- समय पर चुनाव कराने हेतु चुनाव कार्यक्रम तय करना।
- मतदाता सूची तैयार करना, EPIC (इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र) जारी करना।
- मतदान केन्द्रों का स्थान तय करना, मतदाताओं का आवंटन, मतगणना केन्द्र, आवश्यक व्यवस्था आदि।
- राजनीतिक दलों को मान्यता देना एवं चुनाव चिह्न आवंटित करना तथा विवादों का निपटारा।
- सांसदों/विधायकों की चुनावोत्तर अयोग्यता के मामलों पर परामर्शी अधिकार।
- राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए आदर्श आचार संहिता जारी करना।
- प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की सीमा तय करना एवं निगरानी करना।
भारत के लिए निर्वाचन आयोग का महत्व
- 1952 से अब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनावों का सफल संचालन।
- हाल के वर्षों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए सक्रिय भूमिका।
- राजनीतिक दलों को अनुशासित करना (आंतरिक लोकतंत्र न होने पर मान्यता समाप्त करने की चेतावनी)।
- संविधानिक मूल्यों को बनाए रखना: समानता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता, विधि का शासन।
- चुनावों का संचालन विश्वसनीयता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, जवाबदेही, स्वायत्तता और पेशेवराना दृष्टिकोण से।
- सभी पात्र नागरिकों की समावेशी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से संवाद।
- मतदाताओं, उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और चुनाव अधिकारियों में चुनावी जागरूकता पैदा करना।
प्रमुख चुनौतियाँ
- राजनीति में पैसे और आपराधिक तत्वों का प्रभाव, हिंसा और चुनावी अनियमितताएँ → राजनीति का अपराधीकरण।
- राज्य सरकारों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग (तबादले, पदस्थापन, सरकारी संसाधनों का चुनाव प्रचार में उपयोग)।
- ECI के पास राजनीतिक दलों को नियंत्रित करने की पर्याप्त शक्ति नहीं (आंतरिक लोकतंत्र लागू कराने और वित्तीय नियंत्रण की शक्ति का अभाव)।
- ECI की कार्यपालिका पर निर्भरता बढ़ती धारणा।
- CEC और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता का अभाव, सरकार की पसंद पर आधारित।
- EVM गड़बड़ी/हैकिंग के आरोप, जनसाधारण का विश्वास कमजोर होना।
आगे की राह
- आयोग को स्थानीय नौकरशाही और पुलिस की सत्ताधारी दल से मिलीभगत पर सतर्क रहना होगा।
- EVM में भरोसा बढ़ाने के लिए VVPAT (मतदाता सत्यापित कागज़ पर्ची प्रणाली) का अधिक प्रयोग।
- आयोग के जनादेश को कानूनी रूप से और मजबूत आधार प्रदान करने की आवश्यकता।
- आयोग में सक्षम और नैतिक नेतृत्व सुनिश्चित करना।
- द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) की सिफारिश:
- CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक महाविद्यालय (Collegium) होना चाहिए जिसमें शामिल हों:
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- विधि मंत्री
- राज्यसभा के उपसभापति
- यह महाविद्यालय राष्ट्रपति को नियुक्ति के लिए सिफारिश करेगा।
- CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक महाविद्यालय (Collegium) होना चाहिए जिसमें शामिल हों:
निर्वाचन आयोग (भारत) – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. निर्वाचन आयोग क्या है?
उत्तर: निर्वाचन आयोग भारत का एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है, जो लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनावों का संचालन करता है।
2. निर्वाचन आयोग की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी।
3. संविधान का कौन सा भाग चुनावों से संबंधित है?
उत्तर: भारतीय संविधान का भाग XV (अनुच्छेद 324 से 329) चुनावों से संबंधित है।
4. निर्वाचन आयोग को शक्तियाँ किस अनुच्छेद से प्राप्त हैं?
उत्तर: अनुच्छेद 324 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को चुनावों की देखरेख, निर्देशन एवं नियंत्रण की शक्ति प्राप्त है।
5. मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर: भारत के राष्ट्रपति मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं।
6. निर्वाचन आयोग की संरचना क्या है?
उत्तर:
- एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC)
- दो निर्वाचन आयुक्त (Election Commissioners)
7. मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा आयुक्तों का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर: उनका कार्यकाल छः वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो) निर्धारित है।
8. चुनाव आयुक्तों का दर्जा एवं वेतन किसके बराबर है?
उत्तर: चुनाव आयुक्तों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान दर्जा, वेतन एवं सुविधाएँ प्राप्त हैं।
9. मुख्य निर्वाचन आयुक्त को कैसे हटाया जा सकता है?
उत्तर: मुख्य निर्वाचन आयुक्त को केवल संसद द्वारा, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने जैसी प्रक्रिया अपनाकर हटाया जा सकता है।
10. विशेष बहुमत (Special Majority) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
- सदन में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत
- साथ ही, सदन की कुल सदस्य संख्या का 50% से अधिक समर्थन
11. क्या “महाभियोग (Impeachment)” शब्द CEC की बर्खास्तगी के लिए प्रयुक्त होता है?
उत्तर: नहीं। “महाभियोग” शब्द केवल राष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रयुक्त होता है।
12. निर्वाचन आयोग के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
- लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव कराना
- मतदाता सूची तैयार करना और EPIC (मतदाता पहचान पत्र) जारी करना
- मतदान केन्द्र एवं मतगणना केन्द्र तय करना
- राजनीतिक दलों को मान्यता देना एवं चुनाव चिह्न आवंटित करना
- आचार संहिता (Model Code of Conduct) जारी करना
- उम्मीदवारों के चुनाव व्यय की सीमा तय करना और निगरानी करना
13. चुनाव आचार संहिता क्या है?
उत्तर: चुनाव आचार संहिता चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का एक सेट है, जिससे सत्ताधारी दल व उम्मीदवार अनुचित कार्य न कर सकें।
14. राजनीतिक दलों से संबंधित निर्वाचन आयोग की भूमिका क्या है?
उत्तर: निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है, चुनाव चिह्न आवंटित करता है तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन न करने पर दल की मान्यता समाप्त कर सकता है।
15. निर्वाचन आयोग के सामने मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर:
- राजनीति का अपराधीकरण (Criminalization of Politics)
- धनबल और बाहुबल का प्रयोग
- सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग
- ईवीएम पर सवाल और पारदर्शिता की कमी
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया पर सरकार का प्रभाव
- आंतरिक लोकतंत्र (Inner Party Democracy) लागू करने की शक्ति का अभाव
16. वीवीपैट (VVPAT) क्या है?
उत्तर: Voter Verifiable Paper Audit Trail (VVPAT) एक प्रणाली है, जिसमें मतदाता अपने वोट को कागज़ पर छपी पर्ची के माध्यम से देख और सत्यापित कर सकता है।
17. भारत के लिए निर्वाचन आयोग का महत्व क्या है?
उत्तर:
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना
- लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना
- मतदाता सहभागिता को बढ़ावा देना
- चुनावों में विश्वसनीयता, निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही बनाए रखना
18. क्या न्यायालय चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकते हैं?
उत्तर: अनुच्छेद 329 के अनुसार न्यायालय चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। केवल चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव याचिका दाखिल की जा सकती है।
19. मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) ने क्या सुझाव दिया?
उत्तर: 2nd ARC ने एक कोलेजियम प्रणाली की सिफारिश की, जिसमें शामिल हों:
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- कानून मंत्री
- राज्यसभा के उपाध्यक्ष
20. राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: 25 जनवरी को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters’ Day) मनाया जाता है, ताकि निर्वाचन आयोग की स्थापना का स्मरण किया जा सके और मतदाताओं में जागरूकता एवं भागीदारी बढ़ाई जा सके।
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