सिस्टेमैटिक्स (Systematics) क्या है?
सिस्टेमैटिक्स जैविक जीवों के समूहों के ऐतिहासिक संबंधों (historical relationships) का अध्ययन है – यह जैव विविधता (biodiversity) की पहचान और समझ का कार्य करता है।
‘Systematics’ शब्द की रचना लिनियस (Linnaeus) ने सन् 1735 में की थी।
हालांकि Systematics, Taxonomy और Classification शब्दों को आमतौर पर एक जैसे अर्थों में प्रयोग किया जाता है, परंतु तकनीकी दृष्टि से इनके अर्थ अलग-अलग हैं।
G. Simpson (1961) ने इन तीनों शब्दों में भेद किया है।
Taxonomy (टैक्सोनॉमी)
टैक्सोनॉमी वह शाखा है जो जीवों की पहचान (Identification), नामकरण (Nomenclature) और वर्गीकरण (Classification) से संबंधित है।
A.P. de Candolle (1778–1841), जो एक फ्रांसीसी वनस्पति विज्ञानी थे, ने सबसे पहले Taxonomy शब्द का उपयोग पौधों के वर्गीकरण सिद्धांत के लिए किया था।
टैक्सोनॉमी को सिस्टेमैटिक बॉटनी (Systematic Botany) भी कहा जाता है।
Carolus Linnaeus को टैक्सोनॉमी का जनक (Father of Taxonomy) कहा जाता है।
H. Santapau को भारतीय टैक्सोनॉमी का जनक (Father of Indian Taxonomy) कहा जाता है।
Taxonomy के प्रकार (Types of Taxonomy)
टैक्सोनॉमी के तीन प्रकार होते हैं –
- अल्फा टैक्सोनॉमी (Alpha Taxonomy)
- बीटा टैक्सोनॉमी (Beta Taxonomy)
- ओमेगा टैक्सोनॉमी (Omega Taxonomy)
अल्फा टैक्सोनॉमी – जब केवल आकृतिक लक्षणों (Morphological Characters) के आधार पर पौधों की पहचान और वर्गीकरण किया जाता है, तो उसे अल्फा टैक्सोनॉमी कहते हैं।
बीटा टैक्सोनॉमी – इसमें आनुवंशिक (Genetical), रचनात्मक (Anatomical), कोशिकीय (Cytological), परागकणीय (Palynological), शारीरिक (Physiological) और अन्य लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। इसे बायोसिस्टेमैटिक्स (Biosystematics) भी कहते हैं।
Alpha और Beta Taxonomy शब्दों को Turill ने दिया था।
ओमेगा टैक्सोनॉमी – सभी सूचनाओं और आँकड़ों के विश्लेषण और संश्लेषण के आधार पर वंशानुगत संबंधों (Phylogenetic Relationships) पर आधारित वर्गीकरण प्रणाली का विकास ओमेगा टैक्सोनॉमी कहलाता है।
Classification (वर्गीकरण)
वर्गीकरण का अर्थ है – किसी जीव या जीवों के समूह को एक विशेष प्रणाली के अनुसार और नामकरण प्रणाली के अनुरूप किसी श्रेणी में रखना।
Aristotle, जिन्हें प्राणीविज्ञान का जनक (Father of Zoology) कहा जाता है, ने सबसे पहले जानवरों को अपनी पुस्तक Historia Animalium में वर्गीकृत किया।
अरस्तू ने जानवरों को दो मुख्य वर्गों में बाँटा –
- Anima – जिनमें लाल रक्त कोशिकाएँ नहीं होती (अकशेरुकी/Invertebrates)
- Enaima – जिनमें लाल रक्त कोशिकाएँ होती हैं (कशेरुकी/Vertebrates)
Theophrastus और वनस्पति वर्गीकरण
थिओफ्रेस्टस (Theophrastus) (372–287 ईसा पूर्व), जिन्हें वनस्पति विज्ञान का जनक (Father of Botany) कहा जाता है, ने पौधों को उनके रूप और बनावट के आधार पर वर्गीकृत किया और अपनी पुस्तक Historia Plantarum में 480 पौधों का वर्णन किया।
Identification (पहचान)
पहचान का अर्थ है – किसी जीव की सुनिश्चित स्थान या स्थिति को वर्गीकरण की निश्चित योजना में निर्धारित करना। यह कार्य Taxonomic Keys की सहायता से किया जाता है।
Key (कुंजी) एक ऐसा उपयोगी साधन है जो किसी जीव की पहचान को विशिष्ट या भेदकारी लक्षणों (Diagnostic Characters) के माध्यम से आसान बनाता है।
Taxonomy और Systematics में अंतर
टैक्सोनॉमी नई प्रजातियों की खोज और वर्णन करती है, जबकि सिस्टेमैटिक्स वंशानुगत संबंधों के माध्यम से भू-वितरण (Biogeography), सह-विकास (Coevolution), अनुकूलन (Adaptation) और जैव संरक्षण (Biological Conservation) की संभावनाओं को समझने में मदद करता है।
Systematists या Taxonomists वे वैज्ञानिक होते हैं जो पृथ्वी पर जीवन की पहचान, वर्णन, वितरण और संबंधों की जानकारी प्रदान करते हैं।
New Systematics (नवीन सिस्टेमैटिक्स)
New Systematics या Biosystematics सिस्टेमैटिक्स की वह अवधारणा है जो वंशानुगत (Evolutionary), आनुवंशिक (Genetic) और आकृतिक लक्षणों (Morphological Traits) के आधार पर टैक्सोनॉमिक समानता (Taxonomic Affinity) को स्थापित करती है।
Julian Huxley (1940) ने New Systematics शब्द का प्रस्ताव रखा था।
नामकरण (Nomenclature)
नामकरण का अर्थ है – विभिन्न संरचनाओं (जैविक जीवों सहित) को पहचान के उद्देश्य से एक विशिष्ट वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) प्रदान करना।
🔹 जैविक नामकरण के दो प्रकार होते हैं –
- सामान्य नाम (Vernacular Names)
- वैज्ञानिक नाम (Scientific Names)
सामान्य नाम वे होते हैं जिनसे पौधों और जानवरों को स्थानीय क्षेत्रों में पहचाना जाता है।
उदाहरण: काँटे वाला पौधा – काँडियाली (Kandiali)
वैज्ञानिक नाम वे होते हैं जो स्वीकृत सिद्धांतों और मानदंडों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं ताकि वे पूरे विश्व में समान रूप से मान्य हो सकें।
ये नाम विशिष्ट और निश्चित (distinct and specific) होते हैं तथा इनकी वर्तनी (spelling) स्थिर रहती है।
🔹 नामकरण के प्रकार (Types of Nomenclature)
- पॉलीनोमियल नामकरण (Polynomial Nomenclature)
- ट्राइनोमियल नामकरण (Trinomial Nomenclature)
- बाइनोमियल नामकरण (Binomial Nomenclature)
✅ 1. पॉलीनोमियल नामकरण
यह वैज्ञानिक नामकरण की प्रारंभिक विधि थी, जिसमें किसी जीव को कई शब्दों वाले नाम द्वारा पहचाना जाता था। ये शब्द उस जीव के सभी मुख्य लक्षणों को समाहित करते थे।
यह प्रणाली लंबी और जटिल थी।
✅ 2. ट्राइनोमियल नामकरण
यह नामकरण प्रणाली बाइनोमियल नामकरण की विस्तृत प्रणाली है, जिसमें एक तीसरे टैक्सन (taxon) को जोड़ा जाता है।
यह तब उपयोग में आती है जब किसी एक जाति (species) के अंतर्गत उप-समूह (sub-groups) होते हैं।
🐾 पशुओं में ट्राइनोमियल नामकरण:
ट्राइनोम/ट्राइनोमिनल नाम उपजाति (Subspecies) को दर्शाता है।
इसमें तीन भाग होते हैं:
- वंश नाम (Generic name)
- जाति नाम (Specific name)
- उपजाति नाम (Subspecies name)
तीनों भाग italic में लिखे जाते हैं, और केवल Generic name का पहला अक्षर बड़ा (capital) होता है।
🌿 पौधों में ट्राइनोमियल नामकरण:
यह प्रणाली किसी जाति से नीचे के टैक्सा को नाम देने के लिए प्रयोग होती है। इसे टर्नरी नाम (Ternary name) भी कहा जाता है।
✅ 3. बाइनोमियल नामकरण (Binomial Nomenclature)
इस प्रणाली में किसी जीव को दो शब्दों वाले वैज्ञानिक नाम द्वारा पहचाना जाता है –
- पहला शब्द – Generic name (वंश नाम)
- दूसरा शब्द – Specific name (जाति नाम)
प्रत्येक जीव को लैटिन भाषा (Latin) में नाम दिया जाता है क्योंकि यह एक मृत भाषा है और इसमें परिवर्तन की संभावना नहीं होती।
🔹 बाइनोमियल प्रणाली के नियम (Rules of Binomial Nomenclature):
- नाम में दो शब्द होते हैं:
- पहला – Generic Name (प्रारंभिक बड़ा अक्षर)
- दूसरा – Specific Name (छोटे अक्षर से शुरू)
- दोनों नाम या तो italic में लिखे जाते हैं (प्रिंट में) या अलग-अलग रेखांकित (underline) किए जाते हैं (हस्तलिखित में)।
- इन दोनों के बीच कोई कॉमा, हाइफ़न या विराम चिह्न नहीं होता।
- खोजकर्ता वैज्ञानिक का नाम अंत में जोड़ा जाता है, जैसे:
Ficus bengalensis L., Homo sapiens L.
🔹 Synonyms (पर्यायवाची नाम):
यदि किसी एक जाति को अलग-अलग वैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग नाम दिए जाएँ, तो सबसे पहले प्रकाशित नाम को वैध नाम (Valid Name) माना जाता है, बशर्ते प्रकाशन वैध और प्रभावी हो।
🔹 नामकरण के कोड और अवधारणाएँ:
- International Code of Botanical Nomenclature (ICBN) की नींव C. Linnaeus की पुस्तक Philosophia Botanica से पड़ी। वर्तमान वनस्पति नामकरण कोड 1978 में प्रकाशित हुआ।
- वनस्पति नामकरण प्रणाली प्राणी (zoological) और जीवाणु (bacteriological) नामकरण से स्वतंत्र है।
🔹 प्रकार के नमूने (Types of Types):
- Lectotype (लेक्टोटाइप):
जब मूल Holotype (प्रमाण नमूना) चयनित नहीं किया गया हो या मौजूद न हो, तो मूल सामग्री से चयनित नमूना लेक्टोटाइप कहलाता है। - Neotype (निओटाइप):
यदि मूल सभी सामग्री अनुपस्थित हो, तो एक नया नमूना चयनित किया जाता है जिसे निओटाइप कहते हैं। - Epitype (एपिटाइप):
जब होलोटाइप, लेक्टोटाइप या निओटाइप अस्पष्ट हों या पहचान में समस्या हो, तो स्पष्टीकरण के लिए चयनित नमूना एपिटाइप कहलाता है। - Topotype (टॉपोटाइप):
वह नमूना जो होलोटाइप के संग्रह स्थान से ही पुनः एकत्र किया गया हो।
टैक्सोनॉमिक श्रेणीक्रम या लिनियस श्रेणीक्रम (Taxonomic Hierarchy or Linnaean Hierarchy)
टैक्सोनॉमिक श्रेणीक्रम एक क्रमिक व्यवस्था है जिसमें जीवों के वर्गीकरण के दौरान टैक्सोनॉमिक श्रेणियों (Taxonomic Categories) को ऊँचाई से नीचे की ओर क्रम में रखा जाता है।
Taxa शब्द किसी भी श्रेणी के टैक्सोनॉमिक समूह (Taxonomic Groups) को दर्शाता है, यानी वर्गीकरण की कोई भी इकाई।
🔹 लिनियस श्रेणीक्रम (Linnaean Hierarchy)
लिनियस द्वारा दी गई श्रेणीक्रम में 5 मुख्य टैक्सा होते हैं –
- वर्ग (Class)
- गण (Order)
- वंश (Genus)
- जाति (Species)
- किस्म (Variety)
आधुनिक प्रणाली में टैक्सा की निम्नलिखित क्रमबद्ध श्रेणियाँ होती हैं:
➡️ जाति (Species)
➡️ वंश (Genus)
➡️ कुल (Tribe)
➡️ कुल (Family)
➡️ गण (Order)
➡️ श्रेणी (Series)
➡️ वर्ग (Class)
➡️ विभाग/संघ (Division/Phylum)
➡️ जगत (Kingdom)
इन श्रेणियों को “श्रृंखला (Hierarchy)” कहा जाता है, जिसमें एक श्रेणी दूसरी के ऊपर स्थित होती है।
🔸 जगत (Kingdom) – सबसे उच्च श्रेणी
🔸 जाति (Species) – सबसे निम्न एवं मूलभूत इकाई (Basic Unit)
🔹 Species की पहचान के प्रकार (Types of Specification)
- Holotype (होलोटाइप):
वह मुख्य नमूना जो किसी जाति का प्रतिनिधित्व करने हेतु लेखक द्वारा चयनित किया गया हो। - Isotype (आइसोटाइप):
होलोटाइप का समान प्रतिरूप, जो उसी स्थान, समय और व्यक्ति द्वारा संग्रहित किया गया हो। - Syntype (सिनटाइप):
जब लेखक द्वारा कोई होलोटाइप निर्दिष्ट नहीं किया गया हो, और दो या अधिक नमूने एक साथ प्रस्तुत किए गए हों, तो उनमें से कोई भी नमूना सिनटाइप कहलाता है। - Paratype (पैराटाइप):
वह नमूना जो प्रोटोलॉग (Protologue) में उद्धृत हो, पर न तो होलोटाइप हो, न आइसोटाइप, और न ही सिनटाइप हो।
🔹 जैविक वर्गीकरण प्रणाली (System of Biological Classification)
टैक्सोनॉमिस्ट्स द्वारा प्रयोग की जाने वाली वर्गीकरण की चार प्रमुख प्रणालियाँ होती हैं:
- कृत्रिम प्रणाली (Artificial System)
- प्राकृतिक प्रणाली (Natural System)
- वंशानुक्रमिक प्रणाली (Phylogenetic System)
- साम्यात्मक प्रणाली (Phenetic System)
✅ 1. Artificial System (कृत्रिम प्रणाली):
यह प्रणाली कुछ सतही समानताओं (Superficial Similarities) पर आधारित होती है।
उदाहरण: केवल पत्तियों के आकार या फूलों की संख्या के आधार पर वर्गीकरण।
✅ 2. Natural System (प्राकृतिक प्रणाली):
इस प्रणाली में जीवों को उनके प्राकृतिक संबंधों (Natural Affinities) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
इसमें प्रमुख विशेषताएँ होती हैं –
संरचनात्मक (Structural), कोशिकीय (Cytological), जननांग (Reproductive) और जैव-रासायनिक (Biochemical) लक्षण।
✅ 3. Phylogenetic System (वंशानुक्रमिक प्रणाली):
यह प्रणाली जीवों के विकासवादी इतिहास (Evolutionary History) और वंशानुक्रम पर आधारित होती है।
✅ 4. Phenetic System (साम्यात्मक प्रणाली):
इस प्रणाली में कुल समानताओं (Overall Similarities) का उपयोग कर जीवों का वर्गीकरण किया जाता है – चाहे वे आनुवंशिक हों या न हों।
🔹 Species की अवधारणाएँ (Concepts of Species)
- Genetic Species Concept (Lotsy, 1918):
इस अवधारणा के अनुसार, जाति उन जीवों का समूह है जो आनुवंशिक रूप से समान (Genetically Identical) होते हैं। - Biological Species Concept (Ernst Mayr, 1942):
आधुनिक अवधारणा – इसमें जाति को परिभाषित किया गया है कि यह ऐसे प्राकृतिक जनसंख्या समूह हैं जो आपस में प्रजनन करते हैं और अन्य समूहों से प्रजनन रूप से पृथक (Reproductively Isolated) रहते हैं।
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