1. प्रजनन क्या है ?
प्रजनन (Reproduction) वह जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई जीव अपने समान नए जीवों का निर्माण करता है। यह प्रक्रिया जीवन की निरंतरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।

प्रजनन के प्रकार
(1) अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)
- केवल एक जनक की आवश्यकता
- लैंगिक कोशिकाओं (गैमेट) का निर्माण नहीं होता
- विरासत में मिलने वाले लक्षण पूरी तरह समान
- मुख्य विधियाँ : विखंडन, कली बनना, बीजाणु बनना, खंडन, वनस्पति जनन

(2) लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction)
- दो जनकों की आवश्यकता
- नर गैमेट (शुक्राणु) + मादा गैमेट (अण्डाणु) के संलयन से निषेचन (Fertilization)
- संतति में जैव विविधता (Variations)

2. प्रजनन तंत्र क्या है ?
प्रजनन तंत्र वह तंत्र है जिसमें ऐसे अंग और ग्रंथियाँ शामिल होती हैं जो:
- गैमेट का निर्माण
- गैमेट का संरक्षण
- उनका परिवहन
- और निषेचन की प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
मनुष्य में:
- नर प्रजनन तंत्र → शुक्राणुओं का निर्माण
- नारी प्रजनन तंत्र → अण्डाणुओं का निर्माण

3. पुरुष प्रजनन तंत्र : संरचना और कार्य
पुरुष प्रजनन तंत्र निम्नलिखित भागों से मिलकर बना होता है:
- वृषण (Testes)
- अण्डकोश (Scrotum)
- एपिडिडिमिस (Epididymis)
- शुक्रवाहिनी / वास डिफेरेंस (Vas Deferens)
- वीर्य पुटिकाएँ (Seminal Vesicles)
- प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland)
- काउपर ग्रंथियाँ (Bulbourethral Glands)
- मूत्रमार्ग (Urethra)
- बाह्य जननांग (Penile Structure) — चिकित्सकीय विवरण

3.1 वृषण (Testes)
संरचना
- अण्डाकार आकार के दो प्रमुख अंग
- ये अण्डकोश (Scrotum) के भीतर स्थित रहते हैं
- वृषणों में अनेक वीर्यजनन नलिकाएँ (Seminiferous Tubules) होती हैं
कार्य
- शुक्राणुओं का निर्माण (Spermatogenesis)
- टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्राव
स्रावित हार्मोन : टेस्टोस्टेरोन
- पुरुष द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास
- शरीर का तीव्र विकास, भारी आवाज़
- शुक्राणु निर्माण का नियंत्रण
3.2 अण्डकोश (Scrotum)
संरचना
- त्वचा की बाहरी थैली
- वृषण इसी में सुरक्षित रहते हैं
कार्य
- वृषणों का तापमान शरीर के तापमान से 2–3°C कम रखता है
- यह तापमान शुक्राणु निर्माण के लिए अनिवार्य है
3.3 एपिडिडिमिस (Epididymis)
संरचना
- वृषण के ऊपर स्थित लम्बी कुंडलित नलिका
कार्य
- शुक्राणुओं का अस्थायी भंडारण
- शुक्राणुओं को परिपक्व (mature) होने में सहायता
3.4 शुक्रवाहिनी / वास डिफेरेंस (Vas Deferens)
संरचना
- एपिडिडिमिस से मूत्रमार्ग तक जाने वाली नलिका
कार्य
- परिपक्व शुक्राणुओं को मूत्रमार्ग तक ले जाना
3.5 पुरुष प्रजनन तंत्र की सहायक ग्रंथियाँ
इन ग्रंथियों का कार्य “वीर्य द्रव (Seminal Fluid)” बनाना है, जिसमें शुक्राणु सुरक्षित और सक्रिय रहते हैं।
(A) वीर्य पुटिकाएँ (Seminal Vesicles)
कार्य:
- फ्रुक्टोज युक्त द्रव का निर्माण
- यह द्रव शुक्राणुओं को ऊर्जा प्रदान करता है
(B) प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland)
कार्य:
- क्षारीय (alkaline) द्रव का निर्माण
- यह द्रव महिला जनन पथ के अम्लीय वातावरण से शुक्राणुओं की रक्षा करता है
- शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ाता है
(C) काउपर ग्रंथियाँ (Bulbourethral Glands)
कार्य:
- स्वच्छ क्षारीय द्रव बनाना
- मूत्रमार्ग को साफ और अनुकूल बनाना
3.6 मूत्रमार्ग (Urethra)
कार्य
- मूत्र तथा वीर्य — दोनों के निष्कासन का मार्ग
- ध्यान रहे: दोनों एक साथ नहीं निकलते
3.7 बाह्य जननांग (चिकित्सकीय विवरण)
- बेलनाकार अंग जिसमें मूत्रमार्ग तथा रक्त वाहिकाएँ होती हैं
- मुख्य कार्य:
- वीर्य का महिला प्रजनन पथ में संचरण
- मूत्र का निष्कासन
(विवरण पूरी तरह शैक्षिक व चिकित्सा भाषा में)
4. पुरुष हार्मोन – सारणी
| हार्मोन | स्रावित स्थान | कार्य |
|---|---|---|
| टेस्टोस्टेरोन | वृषण | द्वितीयक लैंगिक लक्षण, शुक्राणु निर्माण |
| FSH | पिट्यूटरी ग्रंथि | शुक्राणु निर्माण को उत्तेजित करता है |
| LH | पिट्यूटरी ग्रंथि | वृषणों को टेस्टोस्टेरोन स्रावित करने हेतु प्रेरित करता है |
5. पुरुष प्रजनन तंत्र से जुड़ी सामान्य समस्याएँ
1. कम शुक्राणु संख्या (Low Sperm Count)
कारण: तनाव, धूम्रपान, शराब, संक्रमण, हार्मोन असंतुलन
प्रभाव: प्रजनन क्षमता में कमी
2. जनन-संक्रमण / यौन संचारित रोग (STDs/STIs)
- एच.आई.वी./एड्स
- उपदंश (Syphilis)
- सूजाक (Gonorrhea)
- क्लैमाइडिया
- जननांग मस्से आदि
3. प्रोस्टेट संबंधी समस्याएँ
- प्रोस्टेट का बढ़ना (उम्र के साथ सामान्य)
- प्रोस्टेट कैंसर (उपचार आवश्यक)
4. हार्मोन असंतुलन
- टेस्टोस्टेरोन में कमी
- थकान, मनोवैज्ञानिक प्रभाव, प्रजनन क्षमता में कमी
5. मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)
- जलन, बार-बार मूत्र, बुखार
- जीवाणु संक्रमण के कारण
6. किशोरावस्था एवं प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health)
प्रजनन स्वास्थ्य क्या है?
शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से सुरक्षित, स्वस्थ और जागरूक रहना—प्रजनन स्वास्थ्य कहलाता है।
मुख्य बिंदु
- स्वच्छता
- पोषण
- आयु-उपयुक्त जानकारी
- भावनात्मक संतुलन
- यौन संचारित रोगों से बचाव
- गरिमा एवं सम्मानपूर्ण व्यवहार
7. किशोरावस्था में जागरूकता
(1) यौवनावस्था में परिवर्तन
- शरीर का तीव्र विकास
- आवाज़ में मोटापन
- चेहरे व शरीर पर बाल
- हार्मोनल परिवर्तन
- भावनात्मक उतार-चढ़ाव
(2) मिथक और तथ्य
- स्वप्नदोष (रात्रि स्राव) सामान्य जैविक प्रक्रिया है
- शरीर पर बाल आना सामान्य है
- मूड स्विंग्स हार्मोन के कारण होते हैं
(3) व्यक्तिगत स्वच्छता
- प्रतिदिन स्नान
- साफ व सूती अंत:वस्त्र
- तौलिया/रेज़र साझा न करना
- शरीर को सूखा रखना
(4) मानसिक स्वास्थ्य
- किसी भरोसेमंद बड़े व्यक्ति से बात करना
- अनुचित दबाव से बचना
- सकारात्मक आदतें विकसित करना
8. यौन संचारित रोगों (STD / AIDS आदि) से बचाव
रोग कैसे फैलते हैं?
- असुरक्षित यौन क्रियाएँ
- संक्रमित सुई का उपयोग
- संक्रमित रक्त
- संक्रमित माँ से शिशु को
बचाव के तरीके
- कंडोम (Barrier Method)
- स्वच्छता
- सुई-सिरिंज साझा न करना
- रक्त चढ़ाते समय जाँच
- नियमित स्वास्थ्य जाँच
- सही जानकारी व शिक्षा
टीके
- कुछ रोगों के लिए टीके उपलब्ध हैं (उदा. HPV)
9. गर्भनिरोधक उपाय (Contraceptive Methods)
(NCERT स्तर पर सरल व्याख्या)
(1) अवरोधक विधि (Barrier Method)
- कंडोम
- गर्भधारण और संक्रमण दोनों से सुरक्षा
(2) रासायनिक विधि (Chemical Method)
- स्पर्मनाशक द्रव्य
(3) शल्य विधि (Surgical Method)
- पुरुष नसबंदी (Vasectomy)
- वास डिफेरेंस को काटकर बाँध दिया जाता है
- सुरक्षित व स्थायी गर्भनिरोधक
(4) प्राकृतिक विधि (Natural Method)
- उपजाऊ अवधि से परहेज़
- कम विश्वसनीय
10. क्या पुरुषों में गर्भपात (Abortion) संभव है?
नहीं।
गर्भ केवल महिला के शरीर में ठहरता है, इसलिए पुरुषों में “गर्भपात” जैसी कोई प्रक्रिया नहीं होती।
पुरुष केवल:
- अपनी साथी को निर्णय में सहायता कर सकते हैं
- भविष्य में गर्भधारण रोकने के लिए नसबंदी (Vasectomy) करा सकते हैं
11. अतिरिक्त महत्वपूर्ण विषय
(1) वीर्य (Semen)
- शुक्राणु + सहायक ग्रंथियों के द्रव का मिश्रण
- पोषण व संरक्षण प्रदान करता है
(2) शुक्राणु की संरचना
- शीर्ष भाग (Head) → अनुवांशिक पदार्थ
- मध्य भाग (Middle Piece) → ऊर्जा
- पूँछ (Tail) → गति प्रदान करती है

(3) निषेचन
- शुक्राणु + अण्डाणु का संलयन
- महिला शरीर के भीतर होता है

11. उपसंहार
पुरुष प्रजनन तंत्र एक सुसंगठित व अत्यंत महत्वपूर्ण तंत्र है जो शुक्राणु निर्माण, हार्मोन स्राव और प्रजनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
किशोरों के लिए सही जानकारी, स्वच्छता, सम्मानजनक व्यवहार और रोगों से बचाव की जागरूकता स्वस्थ प्रजनन जीवन की कुंजी है।
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