मानव प्रजनन | कक्षा 12 जीवविज्ञान अध्याय 2 NCERT हल एवं नोट्स

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कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 2 – Human Reproduction (मानव प्रजनन) एक महत्वपूर्ण विषय है जो मानव जीवन के जारी रहने की प्रक्रिया को समझाता है। इस अध्याय में पुरुष और महिला reproductive system (प्रजनन तंत्र), menstrual cycle (मासिक धर्म चक्र), fertilization (उर्वराण), pregnancy (गर्भधारण), और जन्म तक मानव विकास की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है। इसके साथ ही reproductive health (प्रजनन स्वास्थ्य), infertility (बांझपन) और assisted reproductive technologies (सहायक प्रजनन तकनीकें) जैसे आधुनिक विज्ञान के पहलुओं को भी कवर किया गया है। यह अध्याय न केवल बोर्ड परीक्षाओं के लिए बल्कि NEET जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी बेहद आवश्यक है। साफ-सुथरे diagrams (आलेख) और सरल व्याख्या के साथ यह विषय छात्रों के लिए समझना आसान और उपयोगी बनाता है।

  1. Human Reproductive System (मानव प्रजनन तंत्र)
    1. Male Reproductive System (पुरुष प्रजनन तंत्र)
    2. Female Reproductive System (महिला प्रजनन तंत्र)
    3. मानव प्रजनन तंत्र का कार्य
  2. नर प्रजनन तंत्र (Male Reproductive System)
    1. पुरुष के प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रजनन अंग: विस्तृत नोट्स
      1. 1. प्राथमिक प्रजनन अंग (गोनाड्स)
      2. 2. गौण प्रजनन अंग (Secondary Reproductive Organs)
      3. पुरुष प्रजनन तंत्र का हार्मोनल नियंत्रण
    2. सारणी: प्रमुख अंग और हार्मोन
    3. हार्मोन नियंत्रण (Hormonal Control)
    4. पुरुषों में यौवन की शुरूआत (Onset of Puberty in the Male)
    5. पुरुष यौन क्रिया (Male Sex Act)
    6. पुरुष प्रजनन तंत्र के रोग (Disorders of Male Reproductive System)
      1. बांझपन (Infertility)
      2. प्रोस्टेट का बढ़ना (Prostate Enlargement)
      3. अंडकोष का कैंसर (Testicular Cancer)
      4. लिंग में कठोरता का अभाव (Erectile Dysfunction)
  3. मादा प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System)
    1. स्त्री के प्राथमिक और गौण प्रजनन अंग
      1. 1. प्राथमिक प्रजनन अंग (Primary Reproductive Organs)
      2. 2. द्वितीयक प्रजनन अंग (Secondary Reproductive Organs)
      3. स्त्री प्रजनन तंत्र का हार्मोनल नियंत्रण
    2. सारणी: स्त्री के प्रमुख अंग और हार्मोन
    3. यौवन के दौरान हार्मोन नियंत्रण (Hormonal Control During Puberty)
    4. रजोनिवृत्ति (Menopause)
    5. महिला प्रजनन तंत्र के रोग (Disorders of Female Reproductive System)
      1. मासिक धर्म संबंधी विकार (Menstrual Disorders)
      2. Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) (बहु-फॉलिकल अंडाशय सिंड्रोम)
      3. Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस)
      4. Infertility (बांझपन)
  4. शुक्राणु निर्माण (Spermatogenesis)
    1. स्थान (Site of Occurrence)
    2. प्रक्रिया (Process)
    3. शुक्राणु की संरचना (Structure of Spermatozoon)
  5. अंडाणु निर्माण (Oogenesis)
    1. स्थान (Site of Occurrence)
    2. प्रक्रिया (Process)
    3. अंडाणु की संरचना (Structure of Ovum)
  6. गैमीट्स का विभेदन (Differentiation of Gametes)
    1. शुक्राणु का विभेदन (Differentiation of Spermatozoon)
    2. अंडाणु का विभेदन (Differentiation of Ovum)
  7. मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycle)
  8. मासिक धर्म चक्र का विस्तृत विवरण (Detailed Explanation of Menstrual Cycle)
    1. मासिक धर्म चक्र क्या है? (What is Menstrual Cycle?)
    2. मासिक धर्म चक्र क्यों होता है? (Why Does Menstrual Cycle Happen?)
    3. मासिक धर्म चक्र कैसे होता है? (How Does Menstrual Cycle Happen?)
    4. भारत में मासिक धर्म को लेकर मिथक और तथ्य (Myths vs Facts about Menstrual Cycle in India)
      1. मिथक (Myths)
      2. तथ्य (Facts)
  9. कृत्रिम शुक्राणु प्रवेश (Artificial Insemination)
  10. निषेचन (Fertilization)
    1. शुक्राणु का आगमन (Arrival of Spermatozoa)
    2. अंडाणु का आगमन (Arrival of Egg)
    3. शुक्राणु की तैयारी (Capacitation of Sperms)
    4. निषेचन की रासायनिक और भौतिक घटनाएँ (Chemical and Physical Events of Fertilization)
    5. संतान का लिंग (Sex of the Offspring)
    6. निषेचन का महत्व (Significance of Fertilization)
    7. निषेचन में प्रजाति विशेषता (Species Specificity in Fertilization)
  11. गर्भावस्था से जन्म तक – चरणबद्ध व्याख्या
    1. 1. गर्भधारण (Fertilization)
    2. 2. पहली तिमाही (First Trimester) – 0 से 12 सप्ताह
    3. 3. दूसरी तिमाही (Second Trimester) – 13 से 26 सप्ताह
    4. 4. तीसरी तिमाही (Third Trimester) – 27 सप्ताह से जन्म तक
    5. 5. जन्म (Birth)

Human Reproductive System (मानव प्रजनन तंत्र)

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Male Reproductive System (पुरुष प्रजनन तंत्र)

  • मुख्य अंग: testes (अंडकोष), vas deferens (वृषण नलिका), prostate gland (प्रोस्टेट ग्रंथि), penis (लिंग)।
  • testes में sperm (शुक्राणु) का निर्माण होता है।
  • vas deferens शुक्राणु को परिवहन करता है।
  • prostate gland शुक्राणु के साथ तरल पदार्थ मिलाकर semen (वीर्य) बनाती है।
  • penis वीर्य को शरीर के बाहर निकालने का कार्य करता है।

Female Reproductive System (महिला प्रजनन तंत्र)

  • मुख्य अंग: ovaries (अंडाशय), fallopian tubes (फैलोपियन ट्यूब), uterus (गर्भाशय), vagina (योनि)।
  • ovaries में eggs (अंडाणु) बनते हैं।
  • fallopian tubes अंडाणु को ovaries से uterus तक पहुँचाती हैं।
  • fertilization (उर्वराण) सामान्यतः fallopian tubes में होता है।
  • uterus भ्रूण के विकास का स्थान होता है।
  • vagina जन्म नाली और मासिक धर्म के लिए मार्ग है।

मानव प्रजनन तंत्र का कार्य

  • पुरुष और महिला gametes (शुक्राणु और अंडाणु) का निर्माण करना।
  • fertilization के माध्यम से युग्मज (zygote) का निर्माण करना।
  • भ्रूण और शिशु के विकास के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करना।
  • मानव जाति के निरंतरता के लिए प्रजनन की प्रक्रिया सुनिश्चित करना।

नर प्रजनन तंत्र (Male Reproductive System)

पुरुष के प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रजनन अंग: विस्तृत नोट्स


1. प्राथमिक प्रजनन अंग (गोनाड्स)

  • परिभाषा:
    वे अंग जो सीधे यौन कोशिकाओं (गैमीट्स) के उत्पादन में लगे होते हैं, पुरुषों में इन्हें प्राथमिक प्रजनन अंग कहते हैं। पुरुषों में यह अंग अंडकोष (Testes) होते हैं।
  • अंडकोष (Testes):
    • स्थान:
      अंडकोष स्क्रोटम (स्क्रोटम एक थैली जैसी संरचना है जो पेट के बाहर होती है) के अंदर स्थित होते हैं। यह शरीर के बाहर इसलिए होते हैं ताकि इनके तापमान को शरीर के तापमान से 2-3 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके, जो शुक्राणु निर्माण के लिए आवश्यक है।
    • संरचना:
      अंडकोष के अंदर अनेक लम्बी और घुमावदार नलिकाएँ होती हैं जिन्हें सेमिनिफेरस ट्यूब्यूल्स (Seminiferous Tubules) कहते हैं, जहाँ शुक्राणु का निर्माण होता है। इनमें सपोर्टिव सर्टोली कोशिकाएँ (Sertoli Cells) और स्पर्म बनाने वाली कोशिकाएँ (Spermatogenic cells) होती हैं।
    • कार्य:
      1. शुक्राणु निर्माण (Spermatogenesis)
      2. पुरुष यौन हार्मोन का स्राव
    • हार्मोन:
      • टेस्टोस्टेरोन (Testosterone):
        • अंडकोष के बीच में स्थित लेइडिग कोशिकाएँ (Leydig Cells) टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बनाती हैं।
        • टेस्टोस्टेरोन के कार्य:
          • पुरुषों में दूसरे यौन लक्षणों का विकास (जैसे गहरा आवाज़, दाढ़ी, मांसपेशियों का विकास)।
          • शुक्राणु निर्माण को नियंत्रित करना।
          • पुरुषों की कामेच्छा (लिबिडो) को बढ़ावा देना।
          • पुरुष प्रजनन अंगों का विकास और रख-रखाव।

2. गौण प्रजनन अंग (Secondary Reproductive Organs)

  • परिभाषा:
    वे अंग जो शुक्राणु के भंडारण, पोषण, परिवहन और निषेचन के लिए सहायक होते हैं, लेकिन स्वयं शुक्राणु का निर्माण नहीं करते।
  • पुरुष के मुख्य गौण प्रजनन अंग:
    1. एपिडिडिमिस (Epididymis):
      • अंडकोष के पीछे स्थित लम्बी घुमावदार नली।
      • कार्य: शुक्राणु को जमा करना और उन्हें परिपक्व (म्याच्योर) करना।
    2. वास डिफरेंस (Vas Deferens):
      • एपिडिडिमिस से शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक पहुंचाने वाली नली।
      • वीर्यस्राव के समय शुक्राणु का परिवहन करता है।
    3. वीर्य नली (Ejaculatory Duct):
      • वास डिफरेंस और वीर्य ग्रंथि की नली का मेल जो प्रोस्ट्रेट के माध्यम से मूत्रमार्ग में खुलता है।
    4. मूत्रमार्ग (Urethra):
      • वीर्य (सेमेन) और मूत्र को शरीर के बाहर निकालने वाली नली।
    5. सहायक ग्रंथियाँ (Accessory Glands):
      • ये ग्रंथियाँ वीर्य द्रव (सेमिनल फ्लूइड) बनाती हैं, जो शुक्राणु को पोषण, ऊर्जा और सुरक्षा देती हैं।
      • वीर्य ग्रंथि (Seminal Vesicles):
        • फलिक अम्ल (फ्रुक्टोज़) और प्रोजेस्टाग्लैंडिन्स से भरपूर अम्लीय द्रव बनाती हैं।
        • शुक्राणु को ऊर्जा देती है और महिला जनन मार्ग के अम्लीय वातावरण को संतुलित करती है।
      • प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland):
        • पतला, दूधिया, क्षारीय द्रव बनाती है जो शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ाता है।
      • बुल्बोयूरीथ्रल ग्रंथि (Bulbourethral Glands / Cowper’s Glands):
        • मूत्रमार्ग को चिकना करने वाला स्पष्ट द्रव बनाती हैं जो अम्लीयता को कम करता है।
    6. लिंग (Penis):
      • संभोग के दौरान शुक्राणु को महिला जनन मार्ग में प्रवेश कराने वाला अंग।

पुरुष प्रजनन तंत्र का हार्मोनल नियंत्रण

  • हाइपोथैलेमस (Hypothalamus):
    • गोनाडोट्रॉपिन रिलीज़िंग हार्मोन (GnRH) निकालता है जो पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करता है।
  • अग्निष्ठ पिट्यूटरी (Anterior Pituitary):
    • दो महत्वपूर्ण हार्मोन स्रावित करता है:
      1. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH):
        • लेइडिग कोशिकाओं को टेस्टोस्टेरोन बनाने के लिए प्रेरित करता है।
      2. फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH):
        • सर्टोली कोशिकाओं को सक्रिय करता है जो शुक्राणु निर्माण में मदद करती हैं।
  • टेस्टोस्टेरोन:
    • मुख्य पुरुष सेक्स हार्मोन है जो पुरुषों के द्वितीयक लक्षणों और प्रजनन अंगों के विकास का कारण होता है।
  • इनहिबिन (Inhibin):
    • सर्टोली कोशिकाओं से निकलने वाला हार्मोन, जो FSH के स्राव को नियंत्रित करता है ताकि शुक्राणु का संतुलित निर्माण हो।

सारणी: प्रमुख अंग और हार्मोन

अंग / हार्मोनस्थान / स्रोतकार्य
अंडकोष (Testes)स्क्रोटमशुक्राणु और टेस्टोस्टेरोन का निर्माण
सेमिनिफेरस ट्यूब्यूल्सअंडकोष के अंदरशुक्राणु निर्माण का स्थल
लेइडिग कोशिकाएँ (Leydig)अंडकोष के बीच मेंटेस्टोस्टेरोन उत्पादन
एपिडिडिमिस (Epididymis)अंडकोष के पीछेशुक्राणु का भंडारण और परिपक्वता
वास डिफरेंस (Vas Deferens)एपिडिडिमिस से मूत्रमार्ग तकशुक्राणु का परिवहन
वीर्य ग्रंथि (Seminal Vesicles)मूत्राशय के पासशुक्राणु के लिए ऊर्जा युक्त द्रव बनाना
प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate)मूत्राशय के नीचेवीर्य का क्षारीय द्रव बनाना
बुल्बोयूरीथ्रल ग्रंथि (Cowper’s Glands)मूत्रमार्ग के पासमूत्रमार्ग को चिकना और अम्लीयता कम करना
लिंग (Penis)शरीर के बाहरशुक्राणु का महिला जनन मार्ग में प्रवेश
GnRHहाइपोथैलेमसLH और FSH के स्राव को नियंत्रित करना
LHअग्निष्ठ पिट्यूटरीटेस्टोस्टेरोन उत्पादन के लिए लेइडिग कोशिकाओं को सक्रिय करना
FSHअग्निष्ठ पिट्यूटरीशुक्राणु निर्माण में मदद
टेस्टोस्टेरोन (Testosterone)लेइडिग कोशिकाएँपुरुष द्वितीयक लक्षण, शुक्राणु निर्माण
इनहिबिन (Inhibin)सर्टोली कोशिकाएँFSH के स्राव को रोकना ताकि संतुलित शुक्राणु निर्माण हो

हार्मोन नियंत्रण (Hormonal Control)

पुरुष प्रजनन तंत्र की क्रियाएँ मुख्य रूप से hormones (हार्मोन्स) के नियंत्रण में होती हैं। hypothalamus से GnRH (Gonadotropin Releasing Hormone) रिलीज़ होता है, जो pituitary gland को LH (Luteinizing Hormone) और FSH (Follicle Stimulating Hormone) छोड़ने के लिए प्रेरित करता है।

  • LH testes में testosterone (पुरुष हार्मोन) के उत्पादन को बढ़ावा देता है।
  • FSH sperm production (spermatogenesis) को नियंत्रित करता है।
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पुरुषों में यौवन की शुरूआत (Onset of Puberty in the Male)

प्युबर्टी वह अवस्था है जब लड़कों में यौवन की शुरूआत होती है। आमतौर पर यह 12 से 16 वर्ष की उम्र में शुरू होती है। इस समय testosterone के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे:

  • आवाज गहरी होती है।
  • मांसपेशियाँ विकसित होती हैं।
  • शरीर पर बाल उगते हैं।
  • reproductive organs का विकास होता है।
  • sperm का निर्माण शुरू होता है।

पुरुष यौन क्रिया (Male Sex Act)

पुरुष यौन क्रिया में penis का erection (कठोर होना) होता है, जो sexual arousal से संभव होता है। ejaculation के दौरान semen (वीर्य) में मौजूद sperm शरीर के बाहर निकलते हैं। यह प्रक्रिया fertilization के लिए आवश्यक है।

पुरुष प्रजनन तंत्र के रोग (Disorders of Male Reproductive System)

बांझपन (Infertility)

शुक्राणु की संख्या या गुणवत्ता कम होने से गर्भधारण में समस्या होती है।

प्रोस्टेट का बढ़ना (Prostate Enlargement)

प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ने से पेशाब में दिक्कत होती है।

अंडकोष का कैंसर (Testicular Cancer)

अंडकोष में असामान्य वृद्धि या गांठ होना।

लिंग में कठोरता का अभाव (Erectile Dysfunction)

यौन क्रिया में लिंग के कठोर न होने की समस्या।


मादा प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System)

स्त्री के प्राथमिक और गौण प्रजनन अंग


1. प्राथमिक प्रजनन अंग (Primary Reproductive Organs)

  • परिभाषा:
    वे अंग जो सीधे स्त्री यौन कोशिकाओं (अण्डाणु / ओवा) का निर्माण करते हैं और स्त्री यौन हार्मोन स्रावित करते हैं, उन्हें प्राथमिक प्रजनन अंग कहते हैं।
    स्त्रियों में यह अंडाशय (Ovaries) होते हैं।

अंडाशय (Ovaries):

  • स्थान:
    श्रोणि गुहा (Pelvic cavity) में गर्भाशय के दोनों ओर।
  • संरचना:
    प्रत्येक अंडाशय बादाम के आकार का होता है। इसमें दो प्रमुख भाग होते हैं:
    1. कॉर्टेक्स (Cortex) – जिसमें अण्डाणु (Ova) विभिन्न अवस्थाओं में होते हैं।
    2. मेडुला (Medulla) – जिसमें रक्त वाहिकाएँ और नसें होती हैं।
  • कार्य:
    1. अण्डाणु (Ova) का निर्माण – अण्डजनन (Oogenesis)
    2. स्त्री यौन हार्मोन का स्राव।
  • हार्मोन:
    1. एस्ट्रोजन (Estrogen):
      • अंडाशय के ग्रैफियन फॉलिकल द्वारा स्रावित।
      • कार्य:
        • स्त्री के द्वितीयक यौन लक्षणों का विकास (स्तन, चौड़े कूल्हे, मुलायम आवाज़)।
        • गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) को मोटा करना।
        • मासिक चक्र को नियंत्रित करना।
    2. प्रोजेस्टेरोन (Progesterone):
      • कॉर्पस ल्यूटियम (Corpus luteum) द्वारा स्रावित।
      • कार्य:
        • गर्भाशय को गर्भधारण के लिए तैयार करना।
        • गर्भावस्था बनाए रखना।
        • गर्भाशय की भीतरी परत को बनाए रखना।
    3. इनहिबिन (Inhibin):
      • FSH के स्राव को रोकना, ताकि अण्डाणु निर्माण नियंत्रित रहे।
    4. रिलैक्सिन (Relaxin):
      • गर्भावस्था के अंतिम चरण में श्रोणि के लिगामेंट को ढीला करना और गर्भाशय ग्रीवा को नरम करना।

2. द्वितीयक प्रजनन अंग (Secondary Reproductive Organs)

  • परिभाषा:
    वे अंग जो अण्डाणु को अंडाशय से गर्भाशय तक ले जाने, भ्रूण के विकास और प्रसव में सहायक होते हैं, लेकिन स्वयं अण्डाणु का निर्माण नहीं करते।

मुख्य गौण प्रजनन अंग:

  1. अंडवाहिनी (Oviduct / Fallopian Tube):
    • अंडाशय से गर्भाशय तक अण्डाणु पहुँचाने वाली नली।
    • भाग:
      • इन्फंडिबुलम (Infundibulum): अंडाशय के पास खुला भाग, जिसमें फिम्ब्रिया (Fimbriae) होती हैं जो अण्डाणु को पकड़ती हैं।
      • एम्पुला (Ampulla): अण्डाणु और शुक्राणु के मिलने का स्थान (निषेचन का स्थान)।
      • इस्थमस (Isthmus): गर्भाशय से जुड़ने वाला भाग।
  2. गर्भाशय (Uterus / Womb):
    • नाशपाती के आकार का पेशीय अंग।
    • परतें:
      • एंडोमेट्रियम: भीतरी परत, भ्रूण का आरोपण यहीं होता है।
      • मायोमेट्रियम: मध्य परत, पेशीय, प्रसव के समय संकुचन करती है।
      • पेरिमेट्रियम: बाहरी परत।
    • कार्य: भ्रूण का विकास, पोषण और प्रसव।
  3. गर्भाशय ग्रीवा (Cervix):
    • गर्भाशय का संकीर्ण निचला भाग, जो योनि से जुड़ता है।
  4. योनि (Vagina):
    • पेशीय नली जो संभोग और प्रसव मार्ग का कार्य करती है।
  5. बाह्य जननांग (External Genitalia):
    • लैबिया मैजोरा (Labia Majora) – बड़ी त्वचा की तहें, सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • लैबिया मिनोरा (Labia Minora) – छोटी तहें, योनि के मुहाने की रक्षा करती हैं।
    • क्लिटोरिस (Clitoris) – संवेदनशील भाग, यौन उत्तेजना का केंद्र।
  6. सहायक ग्रंथियाँ (Accessory Glands):
    • बार्थोलिन ग्रंथियाँ (Bartholin’s Glands): योनि को चिकना करने वाला द्रव बनाती हैं।
    • मैमेर्री ग्रंथियाँ (Mammary Glands): स्तन ग्रंथियाँ, प्रसव के बाद दूध बनाती हैं।

स्त्री प्रजनन तंत्र का हार्मोनल नियंत्रण

  • हाइपोथैलेमस:
    • GnRH (Gonadotropin Releasing Hormone) – पिट्यूटरी को सक्रिय करता है।
  • अग्निष्ठ पिट्यूटरी (Anterior Pituitary):
    • FSH (Follicle Stimulating Hormone): अंडाशय में फॉलिकल का विकास कराता है।
    • LH (Luteinizing Hormone): ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) कराता है और कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण करता है।
  • अंडाशय:
    • एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, इनहिबिन, रिलैक्सिन का स्राव।

सारणी: स्त्री के प्रमुख अंग और हार्मोन

अंग / हार्मोनस्थान / स्रोतकार्य
अंडाशय (Ovaries)गर्भाशय के दोनों ओरअण्डाणु निर्माण, यौन हार्मोन स्राव
फॉलिकल (Follicle)अंडाशय मेंअण्डाणु का विकास, एस्ट्रोजन स्राव
कॉर्पस ल्यूटियमअंडाशय मेंप्रोजेस्टेरोन स्राव
अंडवाहिनीअंडाशय से गर्भाशय तकअण्डाणु का परिवहन, निषेचन का स्थान
गर्भाशयश्रोणि गुहा मेंभ्रूण का विकास और पोषण
गर्भाशय ग्रीवागर्भाशय का निचला भागगर्भाशय और योनि को जोड़ना
योनिगर्भाशय से बाहर तकसंभोग और प्रसव मार्ग
बार्थोलिन ग्रंथियाँयोनि के पासचिकनाई प्रदान करना
स्तन ग्रंथियाँछाती मेंदूध का निर्माण
FSHअग्निष्ठ पिट्यूटरीफॉलिकल का विकास
LHअग्निष्ठ पिट्यूटरीअंडोत्सर्ग और कॉर्पस ल्यूटियम निर्माण
एस्ट्रोजनफॉलिकलद्वितीयक यौन लक्षण, गर्भाशय की परत का विकास
प्रोजेस्टेरोनकॉर्पस ल्यूटियमगर्भाशय को गर्भधारण के लिए तैयार रखना
इनहिबिनअंडाशयFSH का नियंत्रण
रिलैक्सिनअंडाशयगर्भावस्था में श्रोणि को ढीला करना

यौवन के दौरान हार्मोन नियंत्रण (Hormonal Control During Puberty)

महिला प्रजनन तंत्र में भी हार्मोन का महत्वपूर्ण रोल होता है। hypothalamus से GnRH रिलीज़ होता है, जो pituitary gland को FSH और LH छोड़ने के लिए प्रेरित करता है।

  • FSH अंडाशय (ovaries) में follicles के विकास को बढ़ावा देता है।
  • LH ovulation (अंडोत्सर्जन) को नियंत्रित करता है।
  • estrogen और progesterone हार्मोन मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) को नियंत्रित करते हैं और महिलाओं में यौवन के लक्षणों का विकास करते हैं।
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रजोनिवृत्ति (Menopause)

रजोनिवृत्ति वह अवस्था है जब महिला का मासिक धर्म चक्र स्थायी रूप से बंद हो जाता है, आमतौर पर 45-55 वर्ष की उम्र के बीच। इस दौरान ovaries का हार्मोन उत्पादन घट जाता है, जिससे:

  • मासिक धर्म बंद हो जाता है।
  • शारीरिक और मानसिक बदलाव हो सकते हैं, जैसे गर्म फ्लश, मूड स्विंग्स आदि।

महिला प्रजनन तंत्र के रोग (Disorders of Female Reproductive System)

मासिक धर्म संबंधी विकार (Menstrual Disorders)

  • Amenorrhea (मासिक धर्म का बंद होना)
  • Dysmenorrhea (दर्दनाक मासिक धर्म)
  • Menorrhagia (अत्यधिक रक्तस्राव)

Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) (बहु-फॉलिकल अंडाशय सिंड्रोम)

अंडाशय में कई छोटी cysts बनना, हार्मोनल असंतुलन और अनियमित मासिक धर्म।

Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस)

uterus के अंदर की lining (endometrium) का uterus के बाहर बढ़ना, जिससे दर्द और बांझपन हो सकता है।

Infertility (बांझपन)

अंडोत्सर्जन या गर्भधारण में समस्या होना।


शुक्राणु निर्माण (Spermatogenesis)

स्थान (Site of Occurrence)

Spermatogenesis मुख्य रूप से पुरुष के testes (अंडकोष) के seminiferous tubules (बीजवाहिनी नलिकाएं) में होता है।

प्रक्रिया (Process)

  • Spermatogonia (प्रारंभिक शुक्राणु) कोशिकाएँ mitosis द्वारा बढ़ती हैं।
  • फिर meiosis के माध्यम से वे haploid spermatozoa (शुक्राणु) में बदलती हैं।
  • यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है: spermatogonia → primary spermatocyte → secondary spermatocyte → spermatids → mature spermatozoa।

शुक्राणु की संरचना (Structure of Spermatozoon)

  • सिर (Head): जिसमें nucleus (नाभिक) और acrosome (एक्रोसोम) होता है, जो अंडाणु की झिल्ली को तोड़ने में मदद करता है।
  • मध्य भाग (Mid-piece): mitochondria से भरा होता है, जो ऊर्जा प्रदान करता है।
  • पूंछ (Tail): गति के लिए जिम्मेदार होती है।
shukranu sanrachana

अंडाणु निर्माण (Oogenesis)

स्थान (Site of Occurrence)

Oogenesis महिला के ovaries (अंडाशय) में होता है।

प्रक्रिया (Process)

  • Oogonia (प्रारंभिक अंडाणु) कोशिकाएँ mitosis से बढ़ती हैं।
  • Meiosis के दौरान वे primary oocyte, फिर secondary oocyte और अंत में mature ovum (परिपक्व अंडाणु) बनती हैं।
  • Meiosis में असमान cytoplasm विभाजन होता है, जिससे एक बड़ा ovum और छोटे polar bodies बनते हैं।

अंडाणु की संरचना (Structure of Ovum)

  • कोशिका झिल्ली (Cell membrane)
  • साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) जिसमें पोषक तत्व होते हैं।
  • नाभिक (Nucleus)
  • Zona pellucida (एक मोटी पारदर्शी झिल्ली) जो अंडाणु की सुरक्षा करती है।
andanu sanrachana

गैमीट्स का विभेदन (Differentiation of Gametes)

शुक्राणु का विभेदन (Differentiation of Spermatozoon)

  • Spermatids विकसित होकर mature spermatozoa बनते हैं।
  • पूंछ विकसित होती है जो sperm को गति देती है।
  • Acrosome बनता है जो fertilization में सहायक होता है।

अंडाणु का विभेदन (Differentiation of Ovum)

  • Secondary oocyte विभाजित होकर mature ovum बनता है।
  • Polar bodies बनते हैं जो निषेचन में भाग नहीं लेते।
  • Ovum में पोषक तत्व भरा होता है जो भ्रूण के विकास में मदद करता है।

मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycle)

  • मासिक धर्म चक्र एक नियमित जैविक प्रक्रिया है जो महिलाओं में लगभग 28 दिनों का होता है।
  • इसमें uterus की lining का निर्माण, अंडोत्सर्जन (ovulation), और अगर fertilization न हो तो lining का टूटकर रक्तस्राव होता है।
  • मुख्य चरण:
    1. Menstrual Phase: पुरानी lining का बहना।
    2. Follicular Phase: नया follicle बनना और lining का फिर से बनना।
    3. Ovulation Phase: अंडा निकलना।
    4. Luteal Phase: corpus luteum बनना और हार्मोन का स्राव।

कृत्रिम शुक्राणु प्रवेश (Artificial Insemination)

  • यह एक assisted reproductive technology है जिसमें पुरुष के शुक्राणु को सीधे महिला की योनि या uterus में डाला जाता है।
  • इसका उपयोग बांझपन (infertility) के इलाज में होता है।

निषेचन (Fertilization)

शुक्राणु का आगमन (Arrival of Spermatozoa)

  • ejaculation के दौरान वीर्य के साथ लाखों शुक्राणु महिला के reproductive tract में प्रवेश करते हैं।

अंडाणु का आगमन (Arrival of Egg)

  • अंडाणु ovaries से fallopian tube में आता है, जहाँ fertilization होती है।

शुक्राणु की तैयारी (Capacitation of Sperms)

  • शुक्राणु fallopian tube में biochemical परिवर्तन से fertilization के लिए सक्षम होते हैं।

निषेचन की रासायनिक और भौतिक घटनाएँ (Chemical and Physical Events of Fertilization)

  • Acrosomal reaction से शुक्राणु अंडाणु की झिल्ली को तोड़ता है।
  • शारीरिक और रासायनिक क्रियाएं युग्मज (zygote) के निर्माण में सहायक होती हैं।

संतान का लिंग (Sex of the Offspring)

  • Y chromosome वाला शुक्राणु नर (male) बच्चा और X chromosome वाला शुक्राणु स्त्री (female) बच्चा उत्पन्न करता है।

निषेचन का महत्व (Significance of Fertilization)

  • दो haploid gametes का मिलन diploid zygote बनाता है।
  • नई संतान के लिए आनुवंशिक विविधता सुनिश्चित होती है।

निषेचन में प्रजाति विशेषता (Species Specificity in Fertilization)

  • निषेचन केवल एक ही प्रजाति के gametes के बीच संभव होता है क्योंकि sperm और egg की surface molecules विशिष्ट होते हैं।
nishechan kya hai

गर्भावस्था से जन्म तक – चरणबद्ध व्याख्या


1. गर्भधारण (Fertilization)

  • स्थान – आमतौर पर अंडवाहिनी (Fallopian Tube) के ऐंपीुला क्षेत्र में होता है।
  • प्रक्रिया – पुरुष का शुक्राणु (Sperm) और महिला का अंडाणु (Ovum) मिलकर युग्मनज (Zygote) बनाते हैं।
  • हार्मोन भूमिका
    • LH (Luteinizing Hormone): अंडोत्सर्जन में सहायक।
    • Progesterone: गर्भाशय को भ्रूण के लिए तैयार करता है।

2. पहली तिमाही (First Trimester) – 0 से 12 सप्ताह

  • मुख्य घटनाएं
    • 2 सप्ताह: युग्मनज विभाजित होकर भ्रूण (Embryo) का निर्माण।
    • 4 सप्ताह: हृदय की धड़कन प्रारंभ।
    • 8 सप्ताह: प्रमुख अंगों की नींव तैयार (हृदय, मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी)।
    • 12 सप्ताह: भ्रूण का आकार लगभग 5–6 सेमी, चेहरे की संरचना बनने लगती है।
  • हार्मोन
    • hCG (Human Chorionic Gonadotropin): गर्भधारण को बनाए रखता है और मासिक धर्म रोकता है।
    • Progesterone & Estrogen: भ्रूण की वृद्धि और गर्भाशय की परत को स्थिर रखते हैं।

3. दूसरी तिमाही (Second Trimester) – 13 से 26 सप्ताह

  • मुख्य घटनाएं
    • 16 सप्ताह: मां को भ्रूण की हलचल महसूस होने लगती है।
    • 20 सप्ताह: भ्रूण का लिंग स्पष्ट, त्वचा पर महीन बाल (Lanugo) आते हैं।
    • 24 सप्ताह: भ्रूण की सुनने की क्षमता विकसित।
  • विशेषताएं – इस चरण में गर्भवती महिला का पेट स्पष्ट रूप से बाहर की ओर बढ़ता है, भ्रूण तेजी से वजन बढ़ाता है।
  • हार्मोन
    • Relaxin: श्रोणि (Pelvis) की मांसपेशियों को ढीला करता है।
    • Placental Lactogen: भ्रूण के पोषण और ऊर्जा संतुलन में मदद करता है।

4. तीसरी तिमाही (Third Trimester) – 27 सप्ताह से जन्म तक

  • मुख्य घटनाएं
    • 32 सप्ताह: फेफड़े लगभग पूर्ण विकसित, लेकिन पूरी तरह कार्यशील नहीं।
    • 36 सप्ताह: भ्रूण का सिर गर्भाशय के निचले हिस्से की ओर।
    • 38-40 सप्ताह: भ्रूण पूरी तरह विकसित, जन्म के लिए तैयार।
  • हार्मोन
    • Oxytocin: प्रसव (Labor) की शुरुआत में गर्भाशय संकुचन कराता है।
    • Prolactin: जन्म के बाद दूध बनने में मदद करता है।

5. जन्म (Birth)

  • चरण
    1. गर्भाशय संकुचन → गर्भाशय ग्रीवा का खुलना।
    2. भ्रूण का बाहर आना
    3. अपरा (Placenta) का बाहर निकलना
  • महत्वपूर्ण हार्मोन
    • Oxytocin: संकुचन और दूध के प्रवाह में सहायक।

preganancy to child birth

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