हिंदी भाषा की शुरुआत कितनी पुरानी है?
हिंदी का इतिहास लगभग 1300 साल पुराना माना जाता है। विद्वानों के अनुसार, हिंदी की शुरुआत 7वीं–8वीं सदी में देखी जा सकती है। हालांकि, कुछ इतिहासकार मानते हैं कि 10वीं शताब्दी से पहले की भाषा अपभ्रंश कहलाती थी। इसलिए वे हिंदी के आरंभ को 10वीं सदी से मानते हैं।
9वीं–10वीं सदी तक आते-आते हिंदी बोलचाल और साहित्य की मुख्य भाषा बन गई।
हिंदी के पहले कवि कौन थे?
साहित्य के इतिहासकारों के अनुसार ‘सिद्ध कवि’ सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना जाता है। इनका समय लगभग 769 ईस्वी का माना जाता है। सरहपा ने अपनी रचनाओं से हिंदी काव्य परंपरा की नींव रखी।
हिंदी की पहली किताब कौन-सी थी?
हिंदी साहित्य का खजाना बेहद समृद्ध है।
- 933 ईस्वी में विद्वान देवसेन ने श्रावकाचार की रचना की, जिसे हिंदी की पहली रचना माना जाता है।
- आधुनिक खड़ी बोली हिंदी की पहली प्रिंटेड किताब लल्लू लाल जी द्वारा लिखी गई प्रेम सागर (1810) थी। लल्लू लाल कोलकाता के फोर्ट विलियम कॉलेज में अध्यापक थे।
- इसके बाद, अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की प्रिय प्रवास को खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य माना जाता है।
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हिंदी का पहला अखबार कौन-सा था?
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास 30 मई 1826 से शुरू होता है। इस दिन कोलकाता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में उदंत मार्तण्ड नामक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित हुआ।
यह अंग्रेजी शासन के खिलाफ जनता की आवाज बना, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण केवल एक वर्ष तक ही चल सका।
बाद में हिंदी का पहला दैनिक समाचार पत्र सुधा वर्षण प्रकाशित हुआ।
कंप्यूटर पर हिंदी का सफर
हिंदी का डिजिटल सफर भी उतना ही दिलचस्प है।
- 1980 के दशक में हिंदी को कंप्यूटर पर लाने की शुरुआत हुई।
- हिंदी का पहला मानकीकृत की-बोर्ड लेआउट INSCRIPT (1986) भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग ने तैयार किया।
- असली बदलाव तब आया जब यूनिकोड का विकास हुआ, जिसने अलग-अलग फॉन्ट्स की समस्या हमेशा के लिए खत्म कर दी।
हिंदी का पहला यूनिकोड फॉन्ट
यूनिकोड ने हिंदी को डिजिटल दुनिया में नई पहचान दी।
- हिंदी का पहला और सबसे लोकप्रिय यूनिकोड फॉन्ट था ‘मंगल’, जिसे Microsoft ने 2001 में विकसित किया।
- आज Arial Unicode और Kokila जैसे कई फॉन्ट्स मौजूद हैं, लेकिन हिंदी को कंप्यूटर पर जगह दिलाने का श्रेय ‘मंगल’ को ही जाता है।
इंटरनेट पर हिंदी की पहली पत्रिका
ऑनलाइन हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत दिसंबर 1996 में हुई, जब ‘भारत दर्शन’ नामक ई-पत्रिका लॉन्च की गई।
रोचक तथ्य यह है कि यह पत्रिका भारत से नहीं बल्कि न्यूजीलैंड से प्रकाशित होती थी और इसका मुख्य फोकस साहित्य था।
यहीं से इंटरनेट पर हिंदी साहित्य और पत्रकारिता की नींव रखी गई।
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निष्कर्ष : हिंदी का स्वर्णिम भविष्य
इतिहास से लेकर डिजिटल युग तक, हिंदी ने हर दौर में खुद को साबित किया है। 1300 साल पुराने सफर से लेकर यूनिकोड फॉन्ट और इंटरनेट पत्रिका तक हिंदी ने लंबा रास्ता तय किया है।
आज जरूरत है कि हम अपनी मातृभाषा को न सिर्फ बोलें, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी उसे और मजबूत बनाएं।
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