हम सीखेंगे :
- परिचय
- वैद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा
- वैद्युत स्थैतिक विभव
- वैद्युत स्थैतिक बल संरक्षणी होते हैं
- बिन्दु आवेश के कारण वैद्युत स्थैतिक विभव
- विद्युत आवेशों के समूह के कारण किसी बिंदु पर विभव (Updating soon)
परिचय
- पिछले अध्याय में हमने बिन्दु आवेश तथा आवेश वितरण के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र (E) का अध्ययन किया।
- विद्युत क्षेत्र (E) एक सदिश राशि है जिसे विद्युत क्षेत्र तीव्रता कहते हैं।
- इस अध्याय में हम एक अदिश राशि (V) का अध्ययन करेंगे जिसे वैद्युत स्थैतिक विभव कहते हैं।
- वैद्युत स्थैतिक विभव (V):
- किसी आवेशित पिण्ड के विद्युतीकरण की अवस्था को दर्शाता है।
- यह निर्धारित करता है कि दो पिण्डों को संपर्क में रखने पर आवेश किस दिशा में प्रवाहित होगा।
- आवेश सदैव उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होता है और दोनों का विभव समान होने पर प्रवाह रुक जाता है।
- कूलॉम के नियम से हम विद्युत क्षेत्र तीव्रता निकालते हैं, परंतु इस अध्याय में हम एक वैकल्पिक नियम गॉस का नियम पढ़ेंगे।
- यह नियम विशेषकर साम्यिक आवेश वितरण के लिए विद्युत क्षेत्र निकालने में सहायक है।
- इसके द्वारा जटिल वैद्युत स्थैतिक समस्याएँ सरल हो जाती हैं।
वैद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा
- जैसे गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा होती है, वैसे ही विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश की वैद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा होती है।
- मान लें मूलबिन्दु पर आवेश +Q रखा है और एक छोटा परीक्षण आवेश +q बिन्दु A से B तक लाया जाता है।
- +q इतना छोटा है कि यह +Q की संरचना को प्रभावित नहीं करता।
- एक बाहरी बल लगाया जाता है जो विद्युत बल को संतुलित करता है, ताकि संपूर्ण बल = 0 और +q बिना त्वरण के A से B तक चले।

- बाहरी बल द्वारा किया गया कार्य (Wext):
- विद्युत बल द्वारा किये गये कार्य का ऋणात्मक होता है।
- यह कार्य स्थितिज ऊर्जा के रूप में +q में संग्रहित हो जाता है।
- यदि B पर बाहरी बल हटा दिया जाए, तो विद्युत बल +q को दूर धकेल देगा और स्थितिज ऊर्जा → गतिज ऊर्जा में बदल जाएगी।
- हर बिन्दु पर आवेश q के पास कुछ न कुछ स्थितिज ऊर्जा होती है।
- A से B ले जाने में किया गया कार्य = स्थितिज ऊर्जा का अंतर।
- यह केवल प्रारम्भिक और अंतिम बिन्दुओं पर निर्भर करता है, पथ पर नहीं।
परिभाषा :
- दो बिन्दुओं A और B के बीच वैद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा का अंतर = वह न्यूनतम कार्य जो बाहरी बल द्वारा परीक्षण आवेश q को (बिना त्वरण) A से B तक ले जाने में किया जाता है।
- वास्तविक स्थितिज ऊर्जा का मान महत्वहीन है, केवल अंतर महत्वपूर्ण है।
- परंपरा: अनन्त (∞) पर स्थितिज ऊर्जा = शून्य मानी जाती है।
अतः :
- किसी बिन्दु B पर आवेश q की वैद्युत स्थैतिक स्थितिज ऊर्जा = वह कार्य जो बाहरी बल (विद्युत बल के विपरीत और बराबर) द्वारा आवेश q को अनन्त से B तक लाने में किया जाता है।
वैद्युत स्थैतिक विभव
- परिभाषा (Potential Difference):
- दो बिन्दुओं A और B के बीच वैद्युत स्थैतिक विभवांतर = वह कार्य जो एक इकाई धनात्मक परीक्षण आवेश को (बिना त्वरण) A से B ले जाने में किया जाता है।
- यह कार्य विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध किया जाता है।

- विशेषताएँ :
- कार्य केवल प्रारम्भिक (A) और अंतिम (B) बिन्दुओं पर निर्भर करता है, पथ पर नहीं।
- यदि बिन्दु A का विभव = VA और B का विभव = VB,
UB–UA/q = WAB/q = ΔV

- आयामी सूत्र (Dimensional Formula):
[ML2T−3A−1] - SI इकाई :
- Volt (V)
- 1 volt = 1 joule / 1 coulomb = 1 J C⁻¹ = 1 N m C⁻¹
- परिभाषा (1 volt):
- यदि 1 J कार्य कर एक 1 C धन आवेश को बिना त्वरण A से B तक ले जाया जाए, तो A और B के बीच विभवांतर = 1 volt।
- महत्वपूर्ण तथ्य :
- भौतिक दृष्टि से केवल विभवांतर ही सार्थक है, किसी बिन्दु का वास्तविक विभव नहीं।
- परिभाषा हेतु सामान्यतः अनन्त (∞) पर विभव = 0 माना जाता है।
- वैद्युत स्थैतिक विभव (at a point):
- किसी बिन्दु पर वैद्युत स्थैतिक विभव = वह न्यूनतम कार्य जो एक इकाई धनात्मक आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक (बिना त्वरण) लाने में किया जाता है।
- यह एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।
- 1 Volt परिभाषा (at a point):
- यदि 1 J कार्य कर 1 C धनात्मक आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाया जाए, तो उस बिन्दु का विभव = 1 volt।
वैद्युत स्थैतिक बल संरक्षणी होते हैं
- कथन: वैद्युत स्थैतिक बल संरक्षणी (Conservative) होते हैं → किसी इकाई धनात्मक परीक्षण आवेश को किसी बंद पथ पर ले जाने में किया गया कार्य = शून्य।
- प्रमाण का विचार:
- इकाई धनात्मक आवेश को A → B ले जाने में किया गया कार्य = WAB
- उसी आवेश को B → A किसी अन्य पथ से ले जाने में किया गया कार्य = WBA
- कुल कार्य (A → B → A):
WAB+WBA=(VB–VA)+(VA–VB)=0WAB + WBA = (VB – VA) + (VA – VB) = 0
- निष्कर्ष:
- बंद पथ पर आवेश ले जाने में कोई कार्य नहीं होता।
- अतः वैद्युत क्षेत्र संरक्षणी होता है और वैद्युत स्थैतिक बल भी संरक्षणी बल हैं।
- गणितीय रूप:
(बंद पथ पर विद्युत क्षेत्र का रेखा समाकलन सदैव शून्य होता है)

बिन्दु आवेश के कारण वैद्युत स्थैतिक विभव
बिन्दु आवेश के कारण विभव- स्थिति: मूलबिन्दु O पर एक बिन्दु आवेश q रखा है। बिन्दु P पर विभव निकालना है जहाँ OP = r।
- परिभाषा: बिन्दु P पर वैद्युत स्थैतिक विभव = वह कार्य जो एक इकाई धनात्मक परीक्षण आवेश को अनन्त (∞) से P तक लाने में किया जाता है।
- विद्युत क्षेत्र:
E = (1 / 4πɛ₀) · (q / x²)
छोटे विस्थापन dx के लिए: dW = -E dx
- कुल कार्य (∞ → r):
W = ∫∞r -(1 / 4πɛ₀) · (q / x²) dx
विभव: V = q / (4πɛ₀ r)
- महत्वपूर्ण तथ्य:
- q > 0 ⇒ V धनात्मक
- q < 0 ⇒ V ऋणात्मक
- r → ∞ पर V = 0
- समान दूरी r पर विभव समान होता है → गोलीय सममिति
- परिवर्तन:
V ∝ 1/r और E ∝ 1/r²
विद्युत आवेशों के समूह के कारण किसी बिंदु पर विभव (Updating soon)
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