परिभाषा :
रस का शाब्दिक अर्थ है “आनन्द”। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। रस को काव्य की आत्मा मानी जाती है। रस के कारण ही कविता के पठन, श्रवण और नाटक के अभिनय देखने मेन आनन्द की अनुभूति होती है।
रस से जिस भाव की अनुभूति होती है वह रस का स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार काव्य रचना के आवश्यक अवयव हैं।
- पाठक या श्रोता के हृदय में स्थित स्थायीभाव ही विभावादि से संयुक्त होकर रस के रूप में परिणत होत है।
- रस को काव्य की आत्मा या प्राण तत्व माना जाता है।
भरतमुनी द्वारा रस की परिभाषा :-
🔹 रस के प्रकार (Types of Ras)
📌 रस मुख्यतः नौ प्रकार (नवरस – Navras) के होते हैं।
| क्रमांक | रस का नाम | स्थायी भाव | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| 1 | श्रृंगार रस (Shringar Ras) | रति (प्रेम) | प्रेम गीत, विरह गीत |
| 2 | हास्य रस (Hasya Ras) | हास (हँसी) | कॉमेडी, व्यंग्य |
| 3 | करुण रस (Karun Ras) | शोक (दुख) | दुखद कहानियाँ, शोकगीत |
| 4 | वीर रस (Veer Ras) | उत्साह (साहस) | युद्ध वर्णन, वीर गाथाएँ |
| 5 | रौद्र रस (Raudra Ras) | क्रोध (गुस्सा) | युद्ध और संघर्ष के दृश्य |
| 6 | भयानक रस (Bhayanak Ras) | भय (डर) | भूत-प्रेत कथाएँ, डरावनी फिल्में |
| 7 | वीभत्स रस (Vibhats Ras) | जुगुप्सा (घृणा) | घिनौने दृश्य, युद्ध के भयंकर दृश्य |
| 8 | अद्भुत रस (Adbhut Ras) | विस्मय (आश्चर्य) | रहस्य, जादू, चमत्कारी घटनाएँ |
| 9 | शांत रस (Shant Ras) | निर्वेद (शांति) | योग, ध्यान, संतों की वाणी |
हिन्दी में रसों की संख्या
हिन्दी में रसों की संख्या नौ है – वात्सल्य रस को दसवाँ एवं भक्ति रस को ग्यारहवाँ रस भी माना गया है। वात्सल्यता तथा भक्ति इनके स्थायी भाव हैं। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा लिखित ग्रंथ “भक्ति रस – पहला रस या ग्यारहवाँ रस“ में इस रस को स्थायित्व प्राप्त कराया गया है। इस प्रकार हिन्दी में रसों की संख्या ११ तक पहुँच जाती है।
हिन्दी में रस निम्नलिखित हैं :
- श्रृंगार रस – Shringar Ras in Hindi
- हास्य रस – Hasya Ras in Hindi
- रौद्र रस – Raudra Ras in Hindi
- करुण रस – Karun Ras in Hindi
- वीर रस – Veer Ras in Hindi
- अद्भुत रस – Adbhut Ras in Hindi
- वीभत्स रस – Veebhats Ras in Hindi
- भयानक रस – Bhayanak Ras in Hindi
- शांत रस – Shant Ras in Hindi
- वात्सल्य रस – Vatsalya Ras in Hindi
- भक्ति रस – Bhakti Ras in Hindi
1. श्रृंगार रस (Shringar Ras)
नायक-नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं। श्रृंगार रस को ‘रसराज’ या ‘रसपति’ कहा गया है। इसका स्थायी भाव ‘रति’ होता है।
उदाहरण:
बतरस लालि लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सोहै करै भौंहन हँसै, दैन कहै नच जाय।।
2. हास्य रस (Hasya Ras)
हास्य रस का स्थायी भाव ‘हास’ है। वेशभूषा, भाषा, आचरण और विकृति को देखकर मन में जो प्रसन्नता उत्पन्न होती है, वह हास्य रस कहलाता है।
उदाहरण:
बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय,
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।
3. रौद्र रस (Raudra Ras)
इसका स्थायी भाव ‘क्रोध’ होता है। जब किसी व्यक्ति या वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग का अपमान करने अथवा अपने गुरुओं एवं प्रियजनों के प्रति अन्याय किए जाने पर क्रोध उत्पन्न होता है, तब रौद्र रस प्रकट होता है।
उदाहरण:
शिखर शत्रु के सुन बिन अर्जुन, क्रोध से जलने लगे।
सब शील अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।।
4. करुण रस (Karun Ras)
इसका स्थायी भाव ‘शोक’ होता है। अपने प्रियजन के वियोग, विनाश, या प्रेमी से सदा के लिए बिछुड़ जाने की पीड़ा से उत्पन्न भावना करुण रस कहलाती है।
उदाहरण:
रही करकती हाय शूल–सी, पीड़ा उर में दशरथ के,
गहन ताप वेदना, व्रण, शाप कथा वे कह न सके।।
5. वीर रस (Veer Ras)
इसका स्थायी भाव ‘उत्साह’ होता है। जब किसी वीरता से संबंधित घटना का वर्णन किया जाता है और मन में उत्साह उत्पन्न होता है, तो वह वीर रस कहलाता है।
उदाहरण:
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
6. अद्भुत रस (Adbhut Ras)
इसका स्थायी भाव ‘आश्चर्य’ होता है। जब किसी व्यक्ति के मन में विस्मय अथवा अचरजजनक वस्तुओं को देखकर हर्ष एवं अचंभे के भाव उत्पन्न होते हैं, तो अद्भुत रस कहलाता है।
उदाहरण:
देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया,
करबद्ध को वह बनी अचेतन, चल न सकी कोमल काया।।
7. वीभत्स रस (Veebhats Ras)
इसका स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ होता है। घृणित वस्तुओं, घटनाओं, या शरीर की विकृतियों को देखकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा एवं वितृष्णा वीभत्स रस कहलाती है।
उदाहरण:
आँखें निकाल उड़ जाते, कर भर उड़ कर आ जाते,
शव जीभ खींचकर कौवे, घुला–घुला कर खाते।।
8. भयानक रस (Bhayanak Ras)
इसका स्थायी भाव ‘भय’ होता है। जब किसी भयानक वस्तु, घटना, या प्रेत-आत्मा से डर उत्पन्न होता है, तो वह भयानक रस कहलाता है।
उदाहरण:
अबला यौवन के रंग उभार, चिड़ियों के चहलाते कंठाल,
खोपड़ी के चिकने काले बाल, केतु लिपटी काँस, पिसबार।।
9. शांत रस (Shant Ras)
इसका स्थायी भाव ‘निर्वेद (उदासीनता)’ होता है। जब संसार से वैराग्य उत्पन्न होता है, और मनुष्य को मोक्ष का बोध होता है, तब शांत रस की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण:
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं,
सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देखा माहीं।।
10. वात्सल्य रस (Vatsalya Ras)
इसका स्थायी भाव ‘वात्सल्य (अनुराग)’ होता है। माता का पुत्र के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति स्नेह आदि वात्सल्य रस के अंतर्गत आते हैं।
उदाहरण:
बाल दशा सुख निर्बध जसोदा, पुछन–पुछन नैन बुलावत,
अँचरा–तर लै ढाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावत।।
11. भक्ति रस (Bhakti Ras)
इसका स्थायी भाव ‘देव-रति’ है। जब किसी व्यक्ति के मन में ईश्वर के प्रति अनुराग एवं भक्ति उत्पन्न होती है, तो वह भक्ति रस कहलाता है।
उदाहरण:
अँसुवन जल सिंची–सिंची, प्रेम–बेलि बोई,
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई।।
यह सभी रस भारतीय काव्यशास्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विभिन्न साहित्यिक कृतियों में व्यापक रूप से देखे जाते हैं।
अभ्यास प्रश्न
Multiple Choice Questions (MCQs) on रस
- हिंदी काव्य शास्त्र में रस कितने प्रकार के होते हैं?
a) 8
b) 9
c) 10
d) 11 - निम्नलिखित में से किस रस को “रस राज” कहा जाता है?
a) वीर रस
b) शांत रस
c) श्रृंगार रस
d) हास्य रस - वीर रस का स्थायी भाव क्या होता है?
a) करुणा
b) क्रोध
c) उत्साह
d) भय - वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या होता है?
a) प्रेम
b) वात्सल्य
c) करुणा
d) भय - निम्नलिखित में से कौन सा रस भय से उत्पन्न होता है?
a) भयानक रस
b) शांत रस
c) अद्भुत रस
d) वीभत्स रस - “बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” यह किस रस का उदाहरण है?
a) वीर रस
b) करुण रस
c) शांत रस
d) भयानक रस - “रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के।” यह किस रस से संबंधित है?
a) वीर रस
b) करुण रस
c) शांत रस
d) हास्य रस - “शीश कटाते समय हँसी मुख पे रहे” यह किस रस का उदाहरण है?
a) भयानक रस
b) शांत रस
c) वीर रस
d) हास्य रस - निम्नलिखित में से कौन-सा रस भगवान के प्रति भक्ति को दर्शाता है?
a) श्रृंगार रस
b) शांत रस
c) भक्ति रस
d) करुण रस - हास्य रस का स्थायी भाव क्या होता है?
a) शोक
b) उत्साह
c) हास
d) जुगुप्सा
Fill in the Blanks
- हिंदी साहित्य में रस के जनक __________ माने जाते हैं।
- श्रृंगार रस का स्थायी भाव __________ होता है।
- करुण रस का स्थायी भाव __________ होता है।
- अद्भुत रस का स्थायी भाव __________ होता है।
- भक्ति रस का स्थायी भाव __________ होता है।
True or False
- भयानक रस का स्थायी भाव करुणा होता है। (False)
- रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है। (True)
- वात्सल्य रस माता-पिता के प्रेम को दर्शाता है। (True)
- श्रृंगार रस को रसों का राजा नहीं माना जाता। (False)
- भक्ति रस को ग्यारहवाँ रस माना गया है। (True)
Frequently Asked Questions (FAQs)
- रस किसे कहते हैं?
- रस कविता या साहित्य में वह भाव है, जो पाठक या श्रोता के हृदय में आनंद उत्पन्न करता है।
- कुल कितने रस होते हैं?
- पारंपरिक रूप से 9 रस माने जाते थे, लेकिन वात्सल्य और भक्ति रस को जोड़कर कुल 11 रस माने गए हैं।
- श्रृंगार रस का मुख्य भाव क्या है?
- श्रृंगार रस का मुख्य भाव रति (प्रेम) होता है।
- वीर रस किन भावनाओं से उत्पन्न होता है?
- वीर रस उत्साह और पराक्रम से उत्पन्न होता है।
- हास्य रस का स्थायी भाव क्या होता है?
- हास्य रस का स्थायी भाव हास (हँसी) होता है।



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